Singrauli news:यहां हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर जहां हनुमान जी की पूजा के पहले दी जाती है नारियल की बलि!
Singrauli news:यहां हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर जहां हनुमान जी की पूजा के पहले दी जाती है नारियल की बलि!
एमपी यूपी के सीमा पर स्थित है यह अद्भुत मंदिर
सिंगरौली।श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली सिंगरौली ऊर्जांचल की धरा कई धरोहरों की थाती संजोए हुए है। उसी में से एक है मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश की सीमा पर औड़ी पहाड़ी स्थित झिंगुरदा हनुमान मंदिर। सिद्धपीठ की मान्यता रखने वाला दुनिया का यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां लड्डू, माला-फूल चढ़ाने से पहले नारियल की बलि चढ़ाई जाती है। यहां मन्नत के लिए भी चुनरी में नारियल बांधने और मुराद पूरी होने पर इसे खोलकर भंडारा और शृंगार की परंपरा वर्षों से बनी हुई है।
सामान्यतः भगवान विष्णु को विशेष रूप से अर्पित होने वाला कमल यहां चढ़ाने की परंपरा है। इसके लिए फूल यहां से महज दो से तीन किमी की दूरी पर प्राकृतिक सुषमा समेटे टिप्पा झरिया सरोवर से लाए जाते हैं। झरिया सरोवर में साल के बारहों महीने कमल खिला रहता है, आकर्षण का केंद्र तो है ही, भक्त इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मानते।
मंदिर के मुख्य पुजारी रामलल्लू पांडेय बताते हैं कि इस स्थल पर दो हजार साल पहले खुद ब खुद मूर्ति प्रकट हुई थी। बाद के दिनों में सिंगरौली राजघराने ने विधिवत पूजन-अर्चन शुरू कराया। 200 साल पूर्व सिंगरौली राजघराने की तरफ से यहां दक्षिण भारत की शैली में भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण भी कराया गया। उनका दावा है कि छत्रपति शिवाजी के काल में समर्थ गुरु रामदास ने भी यहां आकर हनुमानजी की आराधना की थी। बताया कि उनका परिवार आठ पीढ़ी से यहां पुजारी की परंपरा निभा रहा है।
बताते चलें कि तांत्रिकों की नजर में भी यह सिद्धपीठ काफी महत्वपूर्ण है। दीपावली पर लगने वाला पांच दिवसीय मेला सिर्फ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के लिए ही नहीं, बल्कि सूबे की राजधानी लखनऊ से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक के लिए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यहां पूरी होती मुरादें और हरियाली से भरा आस-पास का इलाका सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, दूसरों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
ऐसे पहुंचे यहां
सिंगरौली ज़िला मुख्यालय बैढ़न से जयंत पहुंच मोरवा, झिंगुरदह होते हुए लगभग 30 किलोमीटर का सफर तय कर लोग यहां पहुंचते हैं। यहां पहुंचने के लिए निजी साधन ही एक सहारा है। वहीं सीमावर्तीय उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिला अनपरा से कहुआनाला होकर बिछड़ी जंगल से होते हुए महज तीन से चार किमी की दूरी तय कर मंदिर पहुंचा जा सकता है। तथा अनपरा सिंगरौली रोड से होते हुए झिंगुरदा के रास्ते से भी मंदिर पहुंचने का रास्ता है। जिसकी दूरी लगभग 10 से 12 किलोमीटर है।