आपातकाल संविधान पर एक काला धब्बा और अघोषित आपातकाल संविधान की हत्या का षड़यंत्र : अजय खरे।

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आपातकाल संविधान पर एक काला धब्बा और अघोषित आपातकाल संविधान की हत्या का षड़यंत्र : अजय खरे।

 

रीवा । समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा कि 25 जून 1975 को देश पर थोपा गया आपातकाल संविधान पर एक काले धब्बे के रूप में याद किया जाता है जिसके चलते देश की नागरिक आजादी पर हमला हुआ था । वहींं पिछले 10 सालों से देश में चल रहा अघोषित आपातकाल संविधान की हत्या का षड्यंत्र है। 25 जून 1975 से लेकर जनवरी 1977 के दौरान माफीवीर लोग जेल जाने से बचने के लिए आपातकाल और 20 सूत्री सरकारी कार्यक्रम का समर्थन कर रहे थे, यह भारी विडंबना है कि इधर इसी बिरादरी के लोग केंद्र सरकार में बैठकर 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का ऐलान कर रहे हैं। ऐसे लोगों का यही विरोधाभासी दोहरा चरित्र है । आपातकाल के दौरान कुछ ऐसे नकली देशभक्तों ने मीसा/डी आई आर की गिरफ्तारी से छूटने और जेल से बचने के लिए माफीनामे की होड़ लगा दी थी। देश की आजादी के आंदोलन में भी इसी तरह के माफीखोर मानसिकता वाले लोगों ने माफी मांगकर शर्मनाक काम किया था , इसी तरह आपातकाल के दौरान भी माफीखोरों ने माफी मांगने का अपमानजनक काम किया।

श्री खरे ने कहा कि 25 जून 1975 का दिन निश्चित रूप से देश के संवैधानिक इतिहास के लिए काला धब्बा है। जिसके चलते देश में 21 महीने तक नागरिक आजादी और जीवन मूल्य प्रभावित हुए। इसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने जनवरी 1977 में लोकसभा के चुनाव कराने का राजनीतिक निर्णय लिया। मार्च 1977 में संपन्न हुए लोकसभा के चुनाव में देश की जनता ने उनकी पार्टी और उन्हें पराजित करके सबक सिखाया। 1980 में जनता ने एक बार फिर देश की बागडोर श्रीमती इंदिरा गांधी के हाथों सौंप दी और 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए वह देश के लिए शहीद हो गईं। श्रीमती इंदिरा गांधी ने राजाओं के प्रीवीपर्स की समाप्ति , 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के साथ गरीबी हटाओ जैसे मुद्दे को लेकर सन 1971 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया। इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश का निर्माण कराया। देश के आजादी के आंदोलन में उनके पूरे परिवार की सक्रिय भागीदारी और उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियां को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

मोदी शासन काल में 10 साल से भी अधिक समय से अघोषित आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। संवैधानिक संस्थाओं को चौपट किया जा रहा है। ऐसे लोग जब 25 जून को देश के संविधान की हत्या के दिवस के रूप में मनाने की बात करते हैं तो काफी अजीबोगरीब हास्यास्पद लगता है। श्री खरे ने कहा कि लोकसभा के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं देकर जनता ने उनके ऊपर अंकुश रखा है। इधर छह राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा के उपचुनाव में 13 सीटों में से भाजपा महज 2 सीटों में ही सिमट कर रह गई। भाजपा विरोधी लहर दिखाई दे रही है। कुल मिलाकर भाजपा सरकारों के खिलाफ जनता का विरोध सामने नजर आ रहा है।

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