अगले जनम मोहे बिटिया न कीजौ, भगवान,,, किस दिशा में जा रहा महिलाओं और गाय को पूजने वाला देश..?

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अगले जनम मोहे बिटिया न कीजौ, भगवान,,,

किस दिशा में जा रहा देवी-देवताओं,ऋषियों- मुनियों और महिलाओं और गाय को पूजने वाला देश।

 

रक्षाबंधन का त्योहार आ गया है देश का हर एक व्यक्ति अपनी बहन से अपनी कलाई पर रक्षासूत्र बंधवाएगा बहन सगी नहीं है तो बुआ भतीजी पड़ोस की लड़की रिस्तेदारी की लड़की या फिर खून का रिश्ता न भी हो तो मौखिक रूप से बहन और भाई का रिश्ता रक्षाबंधन को बन ही जाता है, देश में शायद ही कोई ऐसा पुरुष रह जाता होगा जिसकी कलाई रक्षाबंधन के दिन सूनी रहे, बहू बेटियां रक्षाबंधन के दिन किसी भी मर्द के हाथ की कलाई सूनी नहीं देख सकतीं अपरिचित मर्दों के भी कलाई पर हमारे देश की नरी शक्ति रक्षा सूत्र इसलिए बांधती हैं कि किसी भी मर्द को रक्षाबंधन के दिन यह महसूस ना हो कि उसके बहन नहीं है इसलिए उसके हाथ की कलाई सूनी न रहे स्त्री द्वारा गैर मर्द को जिस प्रेम भावना से रक्षाबंधन के दिन रक्षा सूत्र बांधा जाता है उस भावनात्मक भाई बहन के रिस्ते को देख ऐसा लगता है कि स्त्री जाति का महत्व हमारे समाज में कितना मूल्यवान है जरूरी नहीं है कि मां,बहन, बेटी और पत्नी के रूप में ही महिला का मान सम्मान किया जाए दूसरों की बहू बेटियों पर भी उसी मानवता के नाते प्रेम भाव रखना चाहिए जो रक्षाबंधन के दिन हमारे समाज में महिलाएं हमें सम्मान देती है रक्षा सूत्र बढ़ती है, गाय और नारी हमारे देश में सदैव पूज्यनीय रही है, स्त्री चाहे जिस रिश्ते में हो पुरुष को जन्म से पूरे जीवन भर प्रगति मार्ग पर ले जाती हैं परिवार को संजोए रखती है बावजूद इसके बहू बेटियों के साथ घटित होती घटनाएं इतनी भयावह हैं कि मानवता शर्मसार हो ही जाती है।

अब तक की सबसे क्रूर दूसरी घटना।

कोलकाता बंगाल में बीते 8-9अगस्त कि देर रात्रि मानवता को शर्मसार करने वाली हुई ह्रदय विदारक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है इस ह्रदय विदारक घटना से मर्द जाति का क्रूर और दरिंदगी वाला राक्षसी चेहरा सामने आया है ऐसी घटनाएं इससे पहले भी घटित हुई है लेकिन निर्भया कांड के बाद मेडिकल छात्रा के साथ बंगाल में हुई दूसरी सबसे क्रूर घटना है बंगाल में बेटी के साथ जो हुआ हर व्यक्ति और सभी महिलाएं यह सोचने को मजबूर है कि देश में बेटियां सुरक्षित नहीं है नौकरी करने और पढ़ाई करने बेटी को बाहर भेजने से अब लोग डरने लगे हैं हर व्यक्ति ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहा है कि बंगाल और निर्भया कांड जैसी घटना अब कभी ना हो कहीं भी ना हो स्त्री को संरक्षित करने वाला मर्द ही जब राक्षस बन जाएगा तो कोई भी बेटी पराए मर्द तो दूर अपने रिश्ते के लोगों से भी नफरत करने लगेगी, इन जघन्य और क्रूर घटनाओं के कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं बहूं बेटियां हमारे देश में उसी मर्द से सुरक्षित नहीं हैं जिसको उसने मां के रूप में धरती पर जन्म दिया है बहन के रूप में रक्षा सूत्र बांधा है बेटी के रूप में घर को खुशहाली से भर दिया है और पत्नी के रूप में पूरे घर परिवार को संजो कर रखा है, देश में हो रहे बेटियों पर अत्याचार और बंगाल में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई धरती की सबसे क्रूर वारदात के बाद महिलाएं कहने लगी है कि हे भगवान अगले जनम मोहे बिटिया न की जौ,,,

बेटी पर ऐसे हुआ अत्याचार।

कोलकाता बंगाल में मेडिकल कॉलेज कि एक ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत कि घटना देश की सबसे क्रूर और अमानवीय घटना है इस मामले में मृतक लेडी डॉक्टर के पिता का कहना है कि बच्ची का शव नग्न अवस्था में फर्श पर पड़ा हुआ पाया गया, उसकी कूल्हे की हड्डी ,टूटी हुई थी, हाथ-पैर विकृत थे और उसकी आंखों में लगे चश्मे के शीशे के टूटे टुकड़े आँख में घुस गए थे आँख से लगातार खून बह रहा था, शरीर के अन्य हिस्सों पर भी गहरी चोट थी जरा सोचिए कि अपनी बेटी के साथ हुए इस घटना को पिता ने कैसे बयां किया होगा इस घटना को उस बेटी के पिता ने कैसे बर्दाश्त किया होगा ,दिल को झकझोर देने वाली इस घटना के बारे में लड़की के पिता बताते है की मेरी बच्ची के दोनों टांगो को चीर दिया गया था, मेरी बच्ची की आंखों से खून निकल रहा था, लड़की के पिता का आरोप है कि एक ने नहीं बल्कि कई लोगों ने मिलकर बेटी के साथ बलात्कार किया और हत्या की है, लड़की के पिता ने यह भी बताया कि उसके बालों से हेयर क्लिप निकाल कर उसके गुप्तांग में ठूस दिये गये थे? ब्लेड से उसके गुप्तांग को काटा और छत विछत किया गया था, लड़की के पिता ने यह भी बताया कि जब वह कमरे में प्रवेश किए तो देखा कि उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था, उसके दोनों पैर 90 डिग्री के कोण में फैले पड़े हुए थे,एक पैर बेड के इस तरफ और दूसरा पैर बेड के दूसरी तरफ था मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार मृतका के शरीर में 150 ग्राम से अधिक स्पर्म पाया गया इससे जाहिर होता है की उस रात कई बार कई लोगों ने बलात्कार किया होगा।

ट्रेनी डॉक्टरों के साथ क्यों हो रहा अन्याय।

क्या लड़की होना गुनाह है, या फिर लड़की का पढ़ाई करना नौकरी करना ,डॉक्टर बनना गुनाह है, य फिर लड़कियों का पुरुष से आगे बढ़ना, देश और समाज के लिए काम करना गुनाह है इन सवालों का शायद सभी का यह जवाब है कि गुनाह उस मर्द की सोच का है जिसको धरती पर किसी महिला ने ही जन्म दिया है देखा जाए तो मेडिकल पढ़ाई सबसे कठिन पढ़ाई में से एक है जो बच्चे इस लाइन में जाते हैं उनके द्वारा रात दिन पढ़ाई करने के बाद ही वह डॉक्टर बनकर धरती के भगवान बनते हैं डॉक्टर के रूप में मरीजों की जान बचाने के लिए लडकी ने पिछले 36 घंटे से अपने कर्तव्य को अंजाम दे रही थी, क्या यह उसकी गलती थी नहीं, यह मेडिकल प्रबंधन मेडिकल कॉलेज के उन सीनियर डॉक्टरों की ग़लती थी जो जूनियर डॉक्टरों को प्रशिक्षण के दौरान 8 -10 घंटे नहीं बल्कि 24 और 36 घंटे तक लगातार ड्यूटी करवाते हैं, पढ़ाई के नाम पर प्रताड़ित करते हैं, प्रशिक्षु डॉक्टरों के पास लगातार मेहनत करने के अलावा कोई दूसरा सफलता का रास्ता नहीं होता जबकि सीनियर डॉक्टर अपने आवास पर अपनी निजी क्लीनिक में सरकारी नौकरी के अलावा नोट छापते हैं आराम फरमाते हैं तो वहीं दूसरी तरफ जूनियर डॉक्टर रात दिन लगातार अस्पताल में ड्यूटी करके अपनी पढ़ाई पूरी करके डॉक्टर बनने का सपना जी जान लगाकर पूरा करते हैं ऐसी घटनाओं के लिए मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन बराबर दोषी है रात में ड्यूटी करने वाली लड़कियों की सुरक्षा के जब इंतजाम नहीं है तो रात में सीनियर डॉक्टर और पुरुष ट्रेनी डॉक्टर से ही ड्यूटी करानी चाहिए थी।

महिला सुरक्षा पर होनी चाहिए एक राय।

बंगाल की मेडिकल छात्रा के साथ हुई घटना को सुनकर रूह कांप जाती है दरिदों नें कई घंटो तक उस लडकी को तडपा- तडपा कर मारा है, इस घटना से पहले लोगों ने उम्मीद पाल रखी थी कि दिल्ली के निर्भया मामले के बाद अब सुधार आ गया है अपराधियों को सजा मिलने के बाद देश के सभी अपराधियों के अंदर डर समा गया है अपराध नहीं होंगे लेकिन निर्भया कांड के बाद अब 12 साल बीत गए कुछ बदला नहीं है बंगाल की घटना ने इसका प्रमाण दे दिया है, राजनीतिक दल भले ही किसी सत्ता सरकार को दोषी ठहराते रहें ऐसी घटनाओं के लिए ना तो कोई राजनीतिक दल को अकेले जिम्मेवार ठहराया जा सकता और शासन प्रशासन पुलिस को भी अकेले जिम्मेदार ठहराया जा सकता क्योंकि ऐसी घटनाएं अपराध करने वाले व्यक्ति की मानसिक विकृति से जुड़ी होती है इसी तरह की क्रूर घटनाएं कई राज्यों में इससे पहले भी हो चुकी है और सत्त्ता में रहने वाली सरकारें ऐसे अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराई जाती है और होना भी चाहिए क्योंकि सरकार में रहते ऐसी क्रूर घटनाएं होना एक प्रकार से सरकार का फेलुअर ही है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि जिस प्रकार से देश के सभी राजनीतिक दलों द्वारा पाकिस्तान बंगलादेश और चीन जैसे देशों के प्रति एक राय होकर निर्णय लेते हैं ठीक उसी प्रकार सभी राजनीतिक दल महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक राय होकर बेटियों की आने वाले भविष्य को लेकर सोचें और फिर ऐसी व्यवस्था और कानून बनाए जिससे कि निर्भया कांड और बंगाल जैसी घटना की पुनरावृत्ति आने वाले समय में ना हो बेटियां निर्भय होकर अपना जीवन जियें।

 

 

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