आखिर क्यों दिया जाता है पितृपक्ष में कौवे को इतना महत्व क्यों माना जाता है कौवे को खाना खिलाना शुभ।
आखिर क्यों दिया जाता है पितृपक्ष में कौवे को इतना महत्व क्यों माना जाता है कौवे को खाना खिलाना शुभ।
इसके पीछे क्या राज है आज हम इसके बारे में जानेंगे. जैसा कि आपको पता है की 29 सितंबर 2023 से पितृपक्ष आरंभ होने जा रहा है ऐसे में यह जानना बहुत आवश्यक है की पितृपक्ष में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए वह क्या चीज हैं जिनको करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ खुश होते हैं पितृपक्ष के 15 दिनों में आपको क्या करना होता है इस इस लेख में हम आज वही जानेंगे
इस अवधि में उनका तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होकर हमे सम्पन्नता और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितृ पक्ष में आपने अक्सर देखा होगा कि पितरों के निमित्त कौवे को भोजन कराया जाता है, जिसका इस दौरान विशेष महत्व है. क्यों कौवे को भोजन कराया जाता है,. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कौवा यम के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. इस दौरान कौवे का होना पितरों के आस पास होने का संकेत माना जाता है. मान्यता है कि पितृपक्ष में पूरे 15 दिन कौवे को भोजन करना चाहिए.
इस दौरान स्नान के उपरांत दक्षिण मुखी होकर पितरों को अर्ग दिया जाता है ऐसा माना जाता है कि दक्षिण मुखी होकर पितरों को अरग देने से पितरों को जल प्राप्त होता है।पितृपक्ष में तुलसी का भी विशेष महत्व है इसके बारे में हम अगले लेख में जानेंगे हम चर्चा करेंगे।
हम आपको बता दें की कौवा एकमात्र ऐसा पक्षी है जिसकी मृत्यु कभी किसी बीमारी के कारण नहीं होती उसकी मृत्यु जीवन पूर्ण होने के बाद ही उसे योनि से मुक्त होता है या तो किसी दुर्घटना के कारण होती है हम आपको यह भी बता दें कि यदि किसी कौवे की मृत्यु किसी दुर्घटनाग्रस्त होती है तो उसके साथ ही कौवे उसे दिन झुंड में आकर शोक मनाते हैं और विलाप करते हैं।