देश

Maize: पीला ही नहीं! काला, बैंगनी और नीला, भी होते हैं मक्का…होती है इनसे इतनी कमाई

Maize: भारत में जब आम आदमी अपने दैनिक जीवन में मोटा अनाज खाता था, तब मक्का-ज्वार-बाजरा जैसे अनाज उसके भोजन का हिस्सा होते थे। फिर चक्र बदला और लोग अधिक से अधिक गेहूं खाने लगे। अब समय ने फिर करवट ली है और अपने स्वास्थ्य लाभों के कारण गरीबों की थाली का यह भोजन अब ‘बाजरे’ के रूप में अमीरों की खाने की मेज पर आ गया है। इसमें मक्का का अपना एक अलग स्थान है और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मक्का न केवल पीले रंग का होता है बल्कि काला, हरा, नीला, लाल और यहां तक ​​कि बैंगनी रंग का भी होता है–Maize

मक्के की खेती कम पानी में की जाती है

मक्का आजकल केवल आटे के लिए ही नहीं उगाया जाता। सब्जी और नाश्ते के रूप में खाने के लिए भी इसकी कई किस्में जैसे बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती भी की जाती है। अगर मक्के की खेती की बात करें तो इसकी लागत बहुत कम है. इसकी फसल की देखभाल भी अन्य की तुलना में कम होती है जबकि इसकी पैदावार बहुत अच्छी होती है।

मक्के की खेती दोमट और बलुई मिट्टी में आराम से की जा सकती है. इसकी खेती में पानी की खपत चना, गेहूं आदि की तुलना में बहुत कम होती है. यह फसल 60 से 80 दिन में तैयार हो जाती है. जबकि काले, नीले, बैंगनी और अन्य रंग के मक्के को तैयार होने में 90 दिन तक का समय लग सकता है…

उपज की अच्छी कीमत मिलती है

सामान्य मक्के की कीमत पर नजर डालें तो एक पौधे में दो फलियां लगती हैं। थोक बाजार में एक भुट्टे की कीमत 5 से 7 रुपये तक होती है. एक बीघे जमीन पर मक्के के करीब 25 हजार पौधे लगते हैं. इस तरह मोटे तौर पर 50,000 भुट्टे 2.5 से 3 लाख रुपये में बिकते हैं |

अब अगर आप इस मक्के के दाने को अलग से बेचें तो बाजार में इसकी कीमत 2,000 से 2,200 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि भूसी और डंठल का उपयोग कागज कारखानों में व्यापक रूप से किया जाता है। बाकी फसल चारा और उर्वरक कंपनियां ले लेती हैं। जबकि भुट्टे की पत्तियों का उपयोग दोना-पत्तल जैसे डिस्पोजल बनाने में किया जाता है. यानी मक्का हर तरह से कमाई करता है…..

Gautam Adani: गौतम अडानी बनाएंगे ड्रोन और मिसाइल… इस दिग्गज कंपनी से हुई डील

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button