रीवा

रीवा हवाई अड्डे का नाम ‘युग पुरुष’ स्व यमुना प्रसाद शास्त्री के नाम करने वरिष्ठ अधिवक्ता अखण्ड प्रताप सिंह ने लिखा पत्र।

रीवा हवाई अड्डे का नाम ‘युग पुरुष’ स्व यमुना प्रसाद शास्त्री के नाम करने वरिष्ठ अधिवक्ता ने लिखा पत्र।

श्रीमान किंजरापु राममोहन नायडू जी,
केंद्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्री
भारत सरकार, नई दिल्ली ।

संदर्भ : मध्य प्रदेश के रीवा जिले में लोकार्पित होने जा रहे नवीन एयरपोर्ट का नामकरण स्वर्गीय श्री
यमुना प्रसाद शास्त्री जी के नाम से किए जाने हेतु ।
महोदय,

भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार के प्रयासों एवं सहयोग से मध्य प्रदेश के रीवा जिले में प्रदेश का छटवाँ एयरपोर्ट बनाकर लोकार्पण हेतु तैयार है। जिसके लिए मैं अपनी एवं समस्त विंध्यवासियों की ओर से शुभकामनाओं सहित आभार प्रेषित करता हूं।

श्रीमान मैं आपका ध्यान हमारे विंध्य के सच्चे जननायक तपः सपूत स्वर्गीय श्री यमुना प्रसाद शास्त्री जी की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं जिन्होंने निःस्वार्थ भाव से अपना संपूर्ण जीवन जनता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। युवा अवस्था से ही देश प्रेम एवं जन सेवा का भाव लेकर चलने वाले शास्त्री जी ने देश की स्वतंत्रता के पश्चात गोवा में पुर्तगाली शासन के विरुद्ध चल रहे आंदोलन में मध्य प्रदेश के आंदोलनकारी जत्थे का प्रतिनिधित्व करते हुए पुर्तगाली सैनिकों की बर्बरता का शिकार हुए और अपने नेत्रों की ज्योति गंवा दी।

नेत्रहीन होने के बावजूद भी वह अपने लक्ष्य एवं सिद्धांतों पर अडिग रहे और राजनीति को जन सेवा का माध्यम बनाकर निकल पड़े। रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा सीट से दो बार विधायक चुने गए। इसके बाद उन्होंने देश के सर्वोच्च सदन लोकसभा की ओर रूख किया और रीवा संसदीय सीट से दो बार सांसद के रूप में चुने गए। सन 1977 में वह पहली बार लोकसभा के सदस्य चुने गए और इसके साथ ही उन्होंने
देश के प्रथम नेत्रहीन सांसद बनने का इतिहास रच दिया। यह खबर देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी चर्चा का विषय बनी, जिसे तत्कालीन सर्वोच्च रागाचार प्रसारण बी. बी. सी. लंदन के द्वारा प्रसारित किया गया , इसके बाद सन 1989 में स्वर्गीय श्री शास्त्री की दूसरी बार रीवा लोकसभा से चुनाव जीतकर सांसद बने ।

सांसद रहते हुए स्वर्गीय श्री शास्त्री जी ने प्रवेश ही नहीं अपितु देश के लिए कई ऐसे कार्य किए जिसके लिए उन्हें युगों-युगों तक याद किया जाएगा। गई राज 1978 में “बाणसागर बांध” जैसी अंतर्राजीय बहुउद्देशीय परियोजना की आधारशिला स्वर्गीय श्री शास्त्री जी के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप रखी गई, जो आज मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। अगस्त 1978 में स्वर्गीय
श्री शास्त्री जी के द्वारा लोकसभा में विधेयक पेश किया गया जिसमें “राइट टू वर्क” “कंपलसरी प्राइमरी एजुकेशन” “ओल्ड एज पेंशन” जैसे गंभीर विषय को सदन के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिससे आज देश के करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं । इसी प्रकार सन 1973 में समूचे देश की कोयला खदानों का
राष्ट्रीयकरण स्वर्गीय श्री शास्त्री जी के संघर्षों के बाद ही संभव हो पाया। रीवा में रेलवे लाइन, दूरसंचार एक्सचेंज और न जाने कितने ही ऐसे कार्य हैं जो स्वर्गीय श्री शास्त्री जी के अथक प्रयासों से आम जन मानस के लिए संपन्न हो पाए ।

स्वर्गीय श्री शास्त्री जी ने कभी भी विधायक अथवा सांसद रहते हुए बढ़े हुए वेतन भत्ते को स्वीकार नहीं किया| उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में गोल्ड मेडल प्राप्त किया, सन 1962 के भारत- चीन युद्ध के दौरान उन्होंने अपना स्वर्ण पदक राष्ट्रीय सुरक्षा कोष में दान कर दिया। स्वर्गीय श्री शास्त्री
सांसद रहते हुए रीवा हवाई पट्टी को एयरपोर्ट के तौर पर विकसित कर रीवा को देश की राजधानी दिल्ली से वायु मार्ग से जोड़ने हेतु भी अथक प्रयास किए, बड़ी ही गजबूती के साथ उन्होंने रीवा मे एयरपोर्ट स्थापित करने का मुद्दा लोकसभा में उठाया परंतु किन्हीं कारणवश उन्हें इस विषय पर सफलता नहीं मिल पाई | 20 जून सन 1997 को श्री यमुना प्रसाद शास्त्री जी का देवलोक गमन हो गया ।

आज उनके ना रहने पर रीवा को नए एयरपोर्ट की सौगात मिलने जा रही है जो निश्चित तौर पर स्वर्गीय श्री शास्त्री जी के सपने का सरकार होने जैसा है। अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि मध्य प्रदेश के रीवा जिले में लोकार्पित होने जा रहे नए एयरपोर्ट का नामकरण रीवा जिले के सच्चे जननायक, विंध्य के तपः सपूत, गोवा मुक्ति आंदोलन के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, रीवा लोकसभा के भूतपूर्व सांसद सदस्य स्वर्गीय श्री यमुना प्रसाद शास्त्री जी के नाम पर रखने की कृपा करें। मेरा मानना है की ऐसे विलक्षण प्रतिभा के धनी, अद्भुत महामानव जिन्होंने देश को इतना सब कुछ दिया उनके प्रति यह हम सब की ओर से सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

आशा एवं विश्वास के साथ
आखण्ड प्रताप सिंह
अधिवक्ता

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