MP news, सीधी जिले में 1जनवरी से अक्टूबर 10 के बीच बढ़ा मौत का आंकड़ा,आत्महत्या के केस अचानक बढ़े।

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सीधी जिले में 1जनवरी से अक्टूबर 10 के बीच बढ़ा मौत का आंकड़ा,आत्महत्या के केस अचानक बढ़े।

जिंदगी पर भारी पड़ रही हैं टेशन और भागमभाग,283 दिन मे फंदा लगाने और दुर्घटना से 48 की मौत।

विराट वसुंधरा सुभाष तिवारी ब्यूरो
सीधी:-छोटी सी जिंदगी मे भागमभाग और चिंताएं इतनी है कि लोग अपनी ही जिंदगी की चिंता नहीं कर रहे हैं।ऐसे मे वे आत्महत्या जैसे घिनौने कदम उठाकर जिंदगी खत्म कर रहे हैं।ये चिंताजनक आंकड़े महज 283 दिन के है।इन 283 दिनो मे 11 लोगों ने आत्महत्या करके अपनी जान गवाई तो दौड़-भाग की जिंदगी मे दुर्घटनाओं मे भी कमोबेश 37 लोग जिंदगी खत्म कर चुके हैं।

हर दो दिन तीन की मौत:-

1जनवरी से 10 अक्टूबर तक की महज 283 दिन की अवधि के जो आंकडे जिला अस्पताल में आए हैं उससे अंदाजा लगाया गया तो हर दो दिन मे तीन की विभिन्न कारणों से मौत हुई है।आंकड़ों के मुताबिक 283 दिन में 78 लोगों की मौत हुई है जो अपने आप मे एक शौचनीय विषय है।

11 ने फंदा लगाया,26 ने खाया जहर:-

अस्पताल की पुलिस चौकी पर दर्ज प्रकरणों की जानकारी जुटाने से स्पष्ट है कि इस 283 दिनो मे 11 लोगों ने फंदा लगाया है।जबकि ये शहर और आसपास के है।जबकि दो व्यक्तियों की अधिक शराब पीने से मौत हुई है।दूसरी तरफ जहर पीने से भी इन 283 दिनो मे 26 लोगों की असमय मौत हुई है।

ये हो सकते है आत्महत्या के कारण:-

– आर्थिक तंगी या बेरोजगारी
-प्रेम-प्रसंग या मानसिक प्रताड़ना
-अपनी बात खुलकर नहीं रखने से अंदर ही घुटन होना
-पारिवारिक विवाद का गहराना जिससे अंत मे मानसिक संतुलन बिगड़ जाना
-उत्तेजक व्यवहार जिससे व्यक्ति अचानक ऐसे कदम उठा लेता है।

फैक्ट फाइल:-

कारण                 मौतें
फंदा लगाने से.          11
दुर्घटना से मौत.          37
जहर पीने से              26
हत्या                       01
जलने से मौत.            01
अधिक शराब पीने से    02

इनका कहना है:-

डिप्रेशन में आए व्यक्ति की काउंसलिंग जरुरी होती हैं।परिजनों को ऐसा लगे कि उनका कोई बालक,बालिका,महिला या पुरुष गुमसुम रहता है तो उसे मनोचिकित्सक को तत्काल दिखवाना चाहिए है,मनोचिकित्सक की राय लेकर ही उससे ज्यादा से ज्यादा बातचीत करने का प्रयास परिजनों को करना चाहिए।मन की बात जानने या जो उसके मन मे चल रहा है उसे जानने का प्रयास करे।वह अच्छा महसूस करेगा और ऐसे कदम उठाने से बचेगा।यह मानसिक रोग है जो व्यक्ति के अंदर ही अंदर चलता है और गलत कदम उठा लेता है।
डॉ रवि पटेल
मस्तिष्क व मनोचिकित्सक रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल सीधी

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