Rewa news, सकारात्मक जल आंदोलन के साथ अधिकाधिक पौधारोपण जरूरी क्यों,,?

Rewa news, सकारात्मक जल आंदोलन के साथ अधिकाधिक पौधारोपण जरूरी क्यों,,?
रीवा। जिले एवं संभाग के जिन जिन गाँवों से होकर नदियाँ बह रही है, उन गाँवों में ग्राम सभाएं कर ग्रामीनजनों को अपने गाँव की नदी पर तटबंध एवं घाट निर्माण के प्रस्ताव गाँव में ही बनाये जाने चाहिए। प्रस्ताव तैयार करके मांगपत्र जिला मुख्यालयों के साथ राज्य एवं केंद्र सरकार को भेजे जाने की आवश्यकता है। तभी हम अपनी नदियों को सदानीरा और सुरक्षित रख पायेंगें। सकारात्मक जल आंदोलन के साथ हर गाँव में अधिकाधिक पौधारोपण किया जाना भी जरूरी है।
राष्ट्रीय जल बिरादरी के सदस्य एवं पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ मुकेश येंगल ने ग्रामीण अंचलों में बैठको के उपरांत उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत हमेशा से नीर, नदी और नारी का सम्मान करने वाला देश रहा है। इसके बावजूद नदियों और जंगलों को नुकसान सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया गया है और इसमें समाज के साथ सरकारी तंत्र भी बराबर का दोषी है।
रिएक्ट संस्था के अध्यक्ष डॉ मुकेश येंगल ने कहा कि वर्तमान समय में जब राज्य व केंद्र सरकार द्वारा जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में सार्थक पहल की जा रही है तो ग्रामवासियों को भी अपने गाँव से होकर प्रवाहमान नदी को बचाने के प्रयास अवश्य किये जाने चाहिए। रिएक्ट संस्था गाँवो में इस तरह के अभियानों को पूर्ण समर्थन देगी। इतिहास साक्षी है कि विश्व भर में मानवीय सभ्यता और संस्कृति का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है। फिर उसकी उपेक्षा क्यों।
डॉ येंगल ने कहा कि रीवा जिले में बीहर, बिछिया, टमस्, महाना, ओड्डा, बेलन सहित अन्य क्षेत्रीय नदियों का अभी से लेकर सितंबर माह तक निरीक्षण किया जा सकता है कि पानी का चढ़ाव और उतार अधिकतम कितना होता है। इसके बाद संबंधित हर गाँव में, 50 से 100 मीटर के तटबंध या घाट बनाने के लिए आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर फिर राशि की मांग करनी चाहिए। यह विश्वस्तरीय जलप्रपातों परिपूर्ण क्षेत्र है, इसके सौंदर्य को अक्षुण्य बनाने के प्रयासों में सभी को अपने स्तर पर एकजुट होना ही होगा। राजधानी अथवा जिला मुख्यालयों के बंद कमरों में तैयार कई प्रस्ताव एवं योजनाओं की भी पुनर्समीक्षा की जानी चाहिए।