Rewa news, डाक्टरों पर नहीं चलता शासन का जोर सार्थक एप्प से अटेंडेंस गया ठंडे बस्ते में CMHO भी हटे अपने आदेश से पीछे।

0

Rewa news, डाक्टरों पर नहीं चलता शासन का जोर सार्थक एप्प से अटेंडेंस गया ठंडे बस्ते में CMHO भी हटे अपने आदेश से पीछे।

 

रीवा । जिले में स्वास्थ्य विभाग खुद बीमार है आलम यह है कि सरकार ने लाखों करोड़ों की अस्पताल बना रखी है और प्रतिमाह डॉक्टर सहित कर्मचारियों को लाखों में वेतन दे रही है अस्पताल खोलने और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए सरकार जनता से टैक्स वसूल कर जनता के लिए ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा तो करती है लेकिन सरकार के इस दावे का भौतिक मूल्यांकन करने की अधिकारियों को फुर्सत नहीं है और हालत यह है कि कहीं अस्पतालों में ताले लटक रहे हैं तो कहीं सरकारी अस्पताल के बगल में ही सरकारी अस्पताल के डॉक्टर शासन के नियम निर्देशों को खुलेआम चुनौती देते हुए अपनी निजी क्लीनिक में प्रैक्टिस कर रहे हैं।

देखा जाए तो एक तरफ सरकार का आदेश है कि 8 घंटे की ड्यूटी शासन से नियुक्त कर्मचारियों को अपने कार्यक्षेत्र य कार्यालय में देना होगा तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के कुछ डॉक्टर हफ्ते और महीने में 8 घंटे भी शासन की ड्यूटी करना जरूरी नहीं समझते लेकिन सरकार से प्रतिमाह वेतन और भत्ते लेना अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझते हैं।

बीते माह एक डॉक्टर की वीडियो वायरल हुई थी जिसमें डॉक्टर ने कहा था कि हम नौकरी को जूते की नोक पर रखते हैं यही मानसिकता कमोवेश उन डॉक्टरों की भी है जो वेतन लेने के लिए नौकरी तो सरकार की करते हैं लेकिन सरकारी अस्पताल में बैठकर मरीजों को देखना जरूरी नहीं समझते और अपनी सुविधा अनुसार निजी क्लीनिक खोलकर जनता को इलाज के नाम पर लूट रहे हैं।

एक तरफ डॉक्टरों की कमी का स्वास्थ्य विभाग लगातार रोना रो रहा है तो वही दूसरी तरफ जो डॉक्टर सरकारी अस्पताल में पदस्थ हैं उनसे 8 घंटे प्रतिदिन ड्यूटी ले पाना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बस में नहीं है खासकर डॉक्टर कौम स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण से बाहर है।

इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि जनवरी से लागू हुआ सार्थक एप्प अटेंडेंस जिले के सीएमएचओ अभी तक स्वास्थ्य विभाग में लागू नहीं करवा पाए जबकि रीवा सीएमएचओ ने दो माह पूर्व आदेश जारी करके सभी कर्मचारियों को निर्देशित किए थे कि सार्थक एप्प के जरिए उपस्थित दर्ज कारायें नहीं तो वेतन रोका जाएगा।

हालांकि डॉक्टरों को छोड़कर नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ ने सार्थक एप्प से उपस्थित दर्ज किया है लेकिन रीवा जिले के किसी भी डॉक्टर ने सीएमएचओ के आदेश का पालन नहीं किया इससे जाहिर होता है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपने मातहत कार्य करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों की मनमानी के सामने घुटने टेक चुके हैं।

जबकि सार्थक एप्प अटेंडेंस लागू करने के पीछे सरकार की यही मंशा है कि कर्मचारी अपनी ड्यूटी निर्धारित समय अनुसार करें लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के निजी स्वार्थ और निकम्मेपन के कारण मध्यप्रदेश शासन की सार्थक एप्प से अटेंडेंस लेने की योजना हवा हवाई नजर आ रही है और रीवा जिले में अभी तक लागू नहीं हो पाई ऐसा लग रहा है कि रीवा सीएमएचओ अब अपने ही आदेश से पीछे हट रहे हैं।

- Advertisement -

Leave A Reply

Your email address will not be published.