Shahdol news, जय विलास पैलेस, सिंधिया रिसर्च सेंटर ग्वालियर के आयोजित सेमिनार में पवन केसरवानी ने अपनी प्रतिभा का बिखेरा जलवा।
जय विलास पैलेस ग्वालियर में सिंधिया शोध केंद्र के द्वारा ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और मध्य भारत 1775 से 1947 तक’ के विषय पर कॉलेज गोइंग स्टूडेंट के साथ एक विशेष चर्चा रखी गई। यह चर्चा ग्वालियर के प्रसिद्ध जय विलास पैलेस में रखी गई। जिसमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जीवाजी विश्वविद्यालय, रक्षा अनुसंधान ग्वालियर, माधव इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी जैसे बड़ी संस्थाओं से प्रतिभागी शामिल हुए। सिंधिया शोध केंद्र के प्रमुख अरुणांश बी गोस्वामी जी ने बताया कि वक्ताओं ने महादजी सिंधिया, महारानी बैजाबाई सिंधिया, महारानी झलकारी बाई, रानी लक्ष्मीबाई, ज्योतिबा फुले और वीर सावरकर जी जैसे महान क्रांतिकारियों की विचारधाराओं पर एक अच्छी चर्चा की गई।
इस सामूहिक चर्चा में रक्षा अनुसंधान केंद्र ग्वालियर के पवन केसरवानी ने महारानी झलकारी बाई के व्यक्तित्व व उनके साहस को सभी के बीच में उद्बोधन के रूप में प्रस्तुत किया एवं झलकारी बाई की जंग – ए – आजादी में भूमिका को बताते हुए उनकी साहस भरी कविताओं को सदन में प्रस्तुत किया। पवन ने झांसी की रानी का रूप धारण कर अंग्रेजों को चकमा देने वाली महिला झलकारी बाई की भूमिका को सामने लाया। सन 1857 की जंग – ए – आजादी में झलकारी बाई जैसे महान साहसी नारी का योगदान भी बताया जो की इतिहास के पन्नों में दबा हुआ है।
पवन ने कहा जिस तरह 1857 की क्रांति पर लाजिमी तौर से झांसी की रानी महारानी लक्ष्मीबाई का नाम आता है, ठीक उसी तरह महारानी लक्ष्मी बाई के कंधों से कंधे मिलाकर झलकारी बाई भी अंग्रेजों से लड़ी। वीरांगना झलकारी बाई जैसे महिलाओं को इतिहास के पन्नों से दूर रखा गया जो इस चर्चा का मुख्य विषय था। सामूहिक चर्चा संपन्न होने के बाद सम्मिलित हुए प्रतिभागियों को सिंधिया शोध केंद्र के केंद्र प्रमुख अरुणांश बी गोस्वामी जी के द्वारा पवन केसरवानी जी को व समस्त प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
शहडोल जिले के धनपुरी नगर के चर्चित व जाने माने सामाजिक यूवा पवन केसरवानी ने जय विलास पैलेस सिंधिया शोध केंद्र ग्वालियर में इस संगोष्ठी में सम्मिलित होकर अपने जिला व नगर का भी मान बढाया है।