Rewa news, विजयदशमी पर शस्त्र पूजन का महत्व, और प्राचीन परंपरा का निर्वहन।

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Rewa news, विजयदशमी पर शस्त्र पूजन का महत्व, और प्राचीन परंपरा का निर्वहन।

 

विजयदशमी के पावन अवसर पर रीवा जिले में विभिन्न स्थानों पर पारंपरिक रूप से शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। यह प्राचीन परंपरा शक्ति और विजय का प्रतीक मानी जाती है और इसका उल्लेख सदियों से शास्त्रों में मिलता है। इस दिन न केवल शस्त्रों का पूजन होता है, बल्कि नए शस्त्रों का चयन भी किया जाता है, जो शक्ति और सतर्कता का प्रतीक है।

रीवा जिले में शस्त्र पूजन का भव्य आयोजन विजयदशमी के अवसर पर रीवा जिले के कई स्थानों पर शस्त्र पूजा का आयोजन किया गया। इस दिन विशेष रूप से पुलिस और सैन्य विभागों में शस्त्रों की साफ-सफाई, रखरखाव और पूजन की परंपरा का निर्वहन होता है। जानकारों का कहना है कि विजयदशमी का सीधा संबंध भगवान श्रीराम की रावण पर विजय से है, जिसमें शक्ति के साथ-साथ विनम्रता का भी महत्व है।

गढ़ थाना परिसर में हुआ विशेष आयोजन गढ़ थाना परिसर में शस्त्र पूजन का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें रीवा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) विवेक लाल, विभागीय अधिकारी डॉ. कृपा शंकर, गढ़ थाना प्रभारी श्रृंगेश सिंह राजपूत सहायक उप निरीक्षक के एल बागरी, एएसआई hd वर्मा गंगा सिंह शिव प्रसाद रावत प्रधान आरक्षक महेंद्र सिंह धर्मेंद्र देवेदी राजेश पाठक आरक्षक अभिषेक पाण्डेय बलराम यादव देवेंद्र सिंह अन्य सिंह और क्षेत्र के कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए। इस अवसर पर मां दुर्गा की विधिवत आराधना के साथ शस्त्रों का पूजन किया गया। पूजा उपरांत हवन और प्रसाद वितरण का भी आयोजन हुआ, जिसमें स्थानीय ग्रामीणों और पुलिसकर्मियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

शक्ति का प्रतीक और शस्त्रों की देखभाल का महत्व विभागीय अधिकारी डॉ. कृपा शंकर ने बताया कि शस्त्र पूजा का प्रमुख उद्देश्य शक्ति और शस्त्रों की सुरक्षा व देखभाल है। यह परंपरा न केवल शस्त्रों की स्वच्छता और रखरखाव की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में शांति और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में भी देखी जाती है। मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत में पुलिस और सैन्य विभागों में विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजन का आयोजन होता है, जिसे शक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।

सुरक्षा और शांति का संदेश इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि शस्त्र केवल शक्ति का साधन नहीं, बल्कि समाज में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। शस्त्र पूजा न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने का भी एक प्रतीक है।

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