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Rewa news:जल जीवन मिशन में हुए 136 करोड़ के भ्रष्टाचार मामले पर लीपापोती में जुटा प्रशासन: एड बी के माला 

Rewa news:जल जीवन मिशन में हुए 136 करोड़ के भ्रष्टाचार मामले पर लीपापोती में जुटा प्रशासन: एड बी के माला

 

 

 

 

 

 

 

रीवा .जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के हर घर नल के माध्यम से पेयजल मुहैया कराने की योजना पर अफसर पलीता लगा रहे हैं। इस योजना में लगातार करोड़ों के घोटाले भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद भी पीएचई, जल निगम के अफसरों पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई है। उधर, रीवा जिले में जल जीवन मिशन में फर्जी कामों के जरिए 136 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इधर, सरकार का दावा है कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद व्यवस्था में सुधार किया गया है। बावजूद इसके भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारी और अधिकारियों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

दरअसल प्रदेश में घर-घर पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के उद्देश्य से 2019 में शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना अधर में लटकी है। 2024 में मिशन का कार्य अधूरा होने के बाद केंद्र सरकार ने जुलाई 2024 में मप्र के 1271 सर्टिफाइड गांवों में सर्वे कराया। एक निजी एजेंसी द्वारा किए गए इस सर्वे में केवल 209 गांव ही मानकों पर खरे उत्तरे। वहीं, 217 गांवों में नल कनेक्शन तो लगाए गए, लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं।

 

 

 

 

 

 

 

 

ऐसे किया गया मिशन में भ्रष्टाचार

योजना मद

राशि का भुगतान (रुपये में)

हैंडपंप मेंटेनेंस

3,17,72.325

जल जीवन मिशन

130,47,08,870

टीपीआई

74,64,762

आईएसए

85,70,124

वाहन, टाइपिंग

1,02,94,344

कुल घोटाला

136,28,00,000

 

 

 

 

 

 

 

आईएएस की जांच रिपोर्ट में हुआ था खुलासा

बताया जा रहा है कि जल जीवन मिशन में मिली घोटाले की शिकायतों के बाद रीवा कलेक्टर के निर्देश पर सहायक कलेक्टर एवं आईएएस अधिकारी सोनाली देव की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी में कोषालय अधिकारी आरडी चौधरी, पुष्पराज सिंह, सरदार राहुल भाई पटेल तथा सहायक ग्रेड-3 कृष्णकांत वर्मा ने अभिलेखों की जांच की। कमेटी ने संधारित एवं उपलब्ध कराए गए बाउचर, कैश बुक, स्टाक पंजी, वितरण विवरण, निविदा आदि का परीक्षण किया। साथ ही हैंडपंप मेंटेनेंस, विभिन्न फार्मों को किए गए साल बार भुगतान की रिपोर्ट ली। कमेटी ने जांच में पाया कि ठेकेदार द्वारा काम पूरा किए बिना ही करोड़ों का भुगतान कर दिया गया, बल्कि शासकीय धन की अनियमितता की गई। 13 गांवों में नल कनेक्शन तक नहीं लगाए गए, बावजूद इसके कार्य पूरा दिखा दिया गया। 778 गांवों में जल गुणवत्ता की जांच में 390 सैंपल अमानक पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार सबसे बड़ा भ्रष्टाचार रीवा, अलीराजपुर और सिंगरौली जिले के गांवो में है।

 

 

 

 

 

 

 

 

यह इंजीनियर पाए गए थे भ्रष्टाचार में जिम्मेदार

रीवा में पदस्थ कार्यपालन यंत्री शरद कुमार सिंह, प्रभारी सहायक यंत्री, एसके श्रीवास्तव, आरके सिंह, एसके सिंह, केबी सिंह, अतुल तिवारी, उपयंत्री संजीव मरकाम, संभागीय लेखाधिकारी विकास कुमार आदि ने विभिन्न मदों में अतियिमितताएं करते हुए भुगतान किया। यह पूर्ण रूप से इस भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं। सरकार ने अभी तक इनके विरुद्ध केवल शोकॉज नोटिस देकर इतिश्री कर ली है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मामले पर सिविल सेवा अधिनियम 1966 के तहत विभागीय जांच की गई है और जांच के बाद कर्मचारियों पर दंड लगाया जाना था परंतु इन कर्मचारियों पर ऐसी कोई कार्यवाही अब तक नहीं की गई है जो कि निंदनीय है जिसके खातिर मेरे द्वारा कई बार शिकायत भी की गई है परंतु प्रशासनिक अमला किसी भी तरह की कार्यवाही करने की बजाय अब भी लीपापोती में जुटा हुआ है।

बी के माला, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजिक कार्यकर्ता

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