रीवा

Rewa MP: जब स्वास्थ्य व्यवस्था की साँसें थम जाती हैं, तो मरीजों की ज़िंदगी दाँव पर लग जाती है।

Rewa MP: जब स्वास्थ्य व्यवस्था की साँसें थम जाती हैं, तो मरीजों की ज़िंदगी दाँव पर लग जाती है।

 

रीवा। जिले के सिरमौर सिविल अस्पताल का वह दृश्य किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं था जहां बीते दिन दोपहर की चिलचिलाती धूप में एक युवक अपनी मां का उपचार कराने अस्पताल पहुंचा था शुगर और ब्लड प्रेशर की मरीज महिला को बुखार थी वह डॉक्टर के कमरे के बाहर बैठी थी वहां एक खाली कुर्सी, एक धूल भरी स्टेथोस्कोप और दवाओं के खाली पैकेटों का ढेर बिखरे थे और बगल में डॉ साहब बंद कमरे में कपड़े उतार कर आराम कर रहे थे कई बार आवाज देने के बाद डॉक्टर साहब ने युवक को बुलाकर बिना जांच किए दवाई लिख दिया यह सब घटना हमारे कैमरे में कैद हो रही थी सिरमौर अस्पताल की यह कोई एक दिन की घटना नहीं थी बल्कि सिरमौर क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था का क्रूर सच है। जहाँ डॉक्टरों की गैरमौजूदगी और कर्मचारियों की लापरवाही ने अस्पतालों को मौत के कुँओं में तब्दील कर दिया है।

बीते दिनांक 9 मई 2025 को सिविल अस्पताल सिरमौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शाहपुर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैकुंठपुर तीनों प्रमुख अस्पतालों में कमोबेश एक जैसे हालात थे शाहपुर अस्पताल में पदस्थ डॉ पंथ अच्छे चिकित्सकों में गिने जाते हैं लेकिन फीस लेकर उपचार करने के लिए न कि शासन की नौकरी के लिए रीवा शहर के शिल्पी प्लाजा के सामने उनके क्लीनिक खूब चलती है लेकिन डा पंथ जहां पदस्थ है वहां ड्यूटी करना उचित नहीं समझते, जबकि बीते दिन ही मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शान डॉ मोहन यादव द्वारा भारत पाकिस्तान के जारी अघोषित युद्ध की स्थिति में सभी अस्पतालों में व्यवस्था दुरुस्त करने की निर्देश दिए गए हैं।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैकुंठपुर की हालत तो ऐसे हैं कि पूरी अस्पताल खाली पड़ी रहती है चिकित्सक से लेकर नर्स और अन्य कर्मचारी अस्पताल में बैठना उचित नहीं समझते बीते दिन शाम लगभग 5:00 बजे अस्पताल में एक चौकीदार तक मौजूद नहीं था तो वही दो दिन पूर्व आधी रात तिलखन निवासी एक वृद्ध महिला को गंभीर हालत में बैकुंठपुर अस्पताल लाया गया था अस्पताल में ताला लगा था अंदर चौकीदार सो रहे थे मरीज के परिजन चिल्लाते रहे कोई उनकी आवाज सुनने वाला नहीं था और महिला ने उपचार नहीं मिलने के कारण दम तोड़ दिया।

सिरमौर क्षेत्र में डॉक्टर आरके ओझा बी प्रमिला श्रीवास्तव और कुछ नर्सिंग ऑफिसर को छोड़ दें तो बाकी कर्मचारी सरकार से घर बैठे मुफ्त तनख्वाह लेने के आदी हो चुके हैं जबकि सीएमएचओ रीवा द्वारा कई बार ऐसे लापरवाह स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारियों को फटकार लगाकर हिदायत दी जा चुकी है लेकिन बीएमओ पद पर बैठे अधिकारी के नकरापन के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button