सीधी जिले मे फैला कबाड़ियों का अवैध कारोबार धड़ल्ले से कबाड़ कारोबारी खरीद रहे चोरी का समान।

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सीधी जिले मे फैला कबाड़ियों का अवैध कारोबार
धड़ल्ले से कबाड़ कारोबारी खरीद रहे चोरी का समान।

 

9893569393 विराट वसुंधरा ब्यूरो सीधी:-
सीधी जिले में इन दिनों धड़ल्ले से कबाडिय़ों का अवैध कारोबार चल रहा है। इस व्यवसाय को करने के लिए न तो किसी को लाइसेंस की जरूरत होती है और न ही किसी की अनुमति की आवश्यकता होती है। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सिर्फ एक स्टाक रजिस्टर की जरूरत होती है। स्टॉक रजिस्टर में खरीद-बिक्री किए गए समान को दर्ज कर इस व्यवसाय को आसानी से किया जा सकता है। इस व्यवसाय में पुलिस और प्रशासन का कोई रोकटोक नहीं होता है। मजेदार बात यह कि जिले में एक दर्जन से भी अधिक कबाड़ के व्यवसायी हैं। जो बेरोकटोक व बेखौफ कारोबार कर रहे हैं। इन पर किसी का नियंत्रण नहीं होने से जिले में दिन ब दिन कबाडियों की संख्या में बढ़ती जा रही है। बहरी में संचालित कबाड़ व्यवसायी द्वारा बिना सत्यापन के साइकिल, मोटरसाइकिल एवं अन्य चोरियों के सामान को बेधड़क खरीद रहे हैं। इस व्यवसाय में जिले के बाहर से आए लोग सक्रिय हैं। उनके द्वारा ही जिले में इस व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है। आलम यह है कि पुलिस कबाडिय़ों पर नकेल नहीं कस पा रही है। कभी कभार ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर औपचारिकता पूरी की जाती है। बहरी अंचल में अक्सर सोलर प्लेट, साइकिल व बाइक चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। दिन-दहाड़े सार्वजनिक स्थानों से साइकिल और बाइक चोरी हो रहीं हैं। साइकिल चोरी होने पर अमूमन लोग थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते, क्योंकि पुलिस इसे छोटा मामला बताकर ध्यान नहीं देती। बाइक और साइकिल चोरी की रिपोर्ट तो लिखी जाती है, लेकिन अक्सर ये वापस नहीं मिलते। इसका कारण यह है कि चोरी की साइकिल और बाइक के कलपुर्जे को अलग-अलग कर कबाड़ में बेच दिया जाता है। इसके अलावा इस धंधे में लोहे के सामान व घरेलू उपयोग के सामान सहित कई कीमती समान पानी के मोल कबाड़ी अपने दलालों के माध्यम से खरीद कर करोड़ों कमाते है।

*बिना लाइसेंस का चल रहा करोड़ों का धंधा:-*
कबाड़ व्यवसाय के लिए शासन ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाया है, पर इसके लिए लाइसेंस जरूरी है। नियम के मुताबिक कबाड़ के व्यवसाय के लिए लाइसेंस बना होना चाहिए। शहर में आधा दर्जन कबाड़ की दुकानें हैं, पर उनके पास कोई लाइसेंस नहीं है। उन्होंने कहा कि जिले की दुकानें अवैध है क्योंकि उनके पास खरीदी-बिक्री की कोई रसीद भी नहीं होती। सूत्रों द्वारा बताया गया कि बहरी में संचालित कबाड़ व्यवसायी द्वारा चोरी का माल आसानी से जिले की सीमा से बाहर भेजकर खपाया जा रहा है।

*धंधे में नाबालिग बच्चे भी है शामिल:-*
कई मामले ऐसे भी आए हैं, जिनमें कबाड़ी बच्चों से चोरी के माल खरीदते हैं। वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किशोरों को चोरी करने के लिए प्रेरित करते हैं। ये किशोर प्राय: गरीब तबके के होते हैं। पारिवारिक व सामाजिक मार्गदर्शन नहीं मिलने से वे घरो के आसपास फेंके गए कचरे में से कबाड़ चुनते है बाद में इन बच्चों पर पारिवारिक नियंत्रण नहीं होने के कारण नशे के गिरफ्त में आ जाते है और अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए चोरी के धंधे में उतर आते है।

*कबाड़ व्यवसायियों पर पुलिस कार्रवाई नहीं:-*
कबाड़ का व्यवसाय करने वालों के खिलाफ पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने से इनके हौसले बुलंद हो गए हैं और ये बेधड़क चोरी के सामानों की खरीद बिक्री के काम में लगे हुए हैं। यदि पुलिस के द्वारा ऐसे व्यवासियों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो जिले से चोरी हुए कई समान इनके पास से बरामद हो सकता है। यहां के कबाडिय़ों के पास ज्यादातर भवन निर्माण में उपयोग होने वाले छड़,वाहनों के चक्के एवं अन्य सामाग्री आसानी से बरामद किया जा सकता है। इसके साथ ही इस मार्ग से बड़ी मात्रा में ट्रकों में कबाड़ भर कर जिले से बाहर माल सप्लाई कर दिया जाता है।

*जिले मे एक दर्जन से अधिक हैं कबाड़ व्यवसायी:*
इस धंधे में कोई रोकटोक नहीं होने के कारण कहीं भी कोई भी व्यक्ति आकर कबाड़ का दुकान चलाना शुरू कर देते हैं। शुरू-शुरू में एक दो एजेंट रख कर शहर के कबाड़ इक्कठा करवा कर खरीदते हैं। बाद में इनके एजेंट बढ़ जाते हैं। इसमें किशोर बच्चे भी होते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कबाड़ी इनसे कम में कबाड़ का सामान खरीद कर थोक में अधिक रकम कमाते हैं। खास बात तो यह है कि जिले में कितने कबाड़ी हैं यह भी किसी के पास रिकार्ड में नहीं है। ये कबाड़ी कम दिनों में लाखों रुपए का कारोबार कर रहे हैं।

9893569393 विराट वसुंधरा ब्यूरो सीधी:-
सीधी जिले में इन दिनों धड़ल्ले से कबाडिय़ों का अवैध कारोबार चल रहा है। इस व्यवसाय को करने के लिए न तो किसी को लाइसेंस की जरूरत होती है और न ही किसी की अनुमति की आवश्यकता होती है। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सिर्फ एक स्टाक रजिस्टर की जरूरत होती है। स्टॉक रजिस्टर में खरीद-बिक्री किए गए समान को दर्ज कर इस व्यवसाय को आसानी से किया जा सकता है। इस व्यवसाय में पुलिस और प्रशासन का कोई रोकटोक नहीं होता है। मजेदार बात यह कि जिले में एक दर्जन से भी अधिक कबाड़ के व्यवसायी हैं। जो बेरोकटोक व बेखौफ कारोबार कर रहे हैं। इन पर किसी का नियंत्रण नहीं होने से जिले में दिन ब दिन कबाडियों की संख्या में बढ़ती जा रही है। बहरी में संचालित कबाड़ व्यवसायी द्वारा बिना सत्यापन के साइकिल, मोटरसाइकिल एवं अन्य चोरियों के सामान को बेधड़क खरीद रहे हैं। इस व्यवसाय में जिले के बाहर से आए लोग सक्रिय हैं। उनके द्वारा ही जिले में इस व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है। आलम यह है कि पुलिस कबाडिय़ों पर नकेल नहीं कस पा रही है। कभी कभार ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर औपचारिकता पूरी की जाती है। बहरी अंचल में अक्सर सोलर प्लेट, साइकिल व बाइक चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। दिन-दहाड़े सार्वजनिक स्थानों से साइकिल और बाइक चोरी हो रहीं हैं। साइकिल चोरी होने पर अमूमन लोग थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते, क्योंकि पुलिस इसे छोटा मामला बताकर ध्यान नहीं देती। बाइक और साइकिल चोरी की रिपोर्ट तो लिखी जाती है, लेकिन अक्सर ये वापस नहीं मिलते। इसका कारण यह है कि चोरी की साइकिल और बाइक के कलपुर्जे को अलग-अलग कर कबाड़ में बेच दिया जाता है। इसके अलावा इस धंधे में लोहे के सामान व घरेलू उपयोग के सामान सहित कई कीमती समान पानी के मोल कबाड़ी अपने दलालों के माध्यम से खरीद कर करोड़ों कमाते है।

*बिना लाइसेंस का चल रहा करोड़ों का धंधा:-*
कबाड़ व्यवसाय के लिए शासन ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाया है, पर इसके लिए लाइसेंस जरूरी है। नियम के मुताबिक कबाड़ के व्यवसाय के लिए लाइसेंस बना होना चाहिए। शहर में आधा दर्जन कबाड़ की दुकानें हैं, पर उनके पास कोई लाइसेंस नहीं है। उन्होंने कहा कि जिले की दुकानें अवैध है क्योंकि उनके पास खरीदी-बिक्री की कोई रसीद भी नहीं होती। सूत्रों द्वारा बताया गया कि बहरी में संचालित कबाड़ व्यवसायी द्वारा चोरी का माल आसानी से जिले की सीमा से बाहर भेजकर खपाया जा रहा है।

*धंधे में नाबालिग बच्चे भी है शामिल:-*
कई मामले ऐसे भी आए हैं, जिनमें कबाड़ी बच्चों से चोरी के माल खरीदते हैं। वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किशोरों को चोरी करने के लिए प्रेरित करते हैं। ये किशोर प्राय: गरीब तबके के होते हैं। पारिवारिक व सामाजिक मार्गदर्शन नहीं मिलने से वे घरो के आसपास फेंके गए कचरे में से कबाड़ चुनते है बाद में इन बच्चों पर पारिवारिक नियंत्रण नहीं होने के कारण नशे के गिरफ्त में आ जाते है और अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए चोरी के धंधे में उतर आते है।

*कबाड़ व्यवसायियों पर पुलिस कार्रवाई नहीं:-*
कबाड़ का व्यवसाय करने वालों के खिलाफ पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने से इनके हौसले बुलंद हो गए हैं और ये बेधड़क चोरी के सामानों की खरीद बिक्री के काम में लगे हुए हैं। यदि पुलिस के द्वारा ऐसे व्यवासियों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो जिले से चोरी हुए कई समान इनके पास से बरामद हो सकता है। यहां के कबाडिय़ों के पास ज्यादातर भवन निर्माण में उपयोग होने वाले छड़,वाहनों के चक्के एवं अन्य सामाग्री आसानी से बरामद किया जा सकता है। इसके साथ ही इस मार्ग से बड़ी मात्रा में ट्रकों में कबाड़ भर कर जिले से बाहर माल सप्लाई कर दिया जाता है।

*जिले मे एक दर्जन से अधिक हैं कबाड़ व्यवसायी:*
इस धंधे में कोई रोकटोक नहीं होने के कारण कहीं भी कोई भी व्यक्ति आकर कबाड़ का दुकान चलाना शुरू कर देते हैं। शुरू-शुरू में एक दो एजेंट रख कर शहर के कबाड़ इक्कठा करवा कर खरीदते हैं। बाद में इनके एजेंट बढ़ जाते हैं। इसमें किशोर बच्चे भी होते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कबाड़ी इनसे कम में कबाड़ का सामान खरीद कर थोक में अधिक रकम कमाते हैं। खास बात तो यह है कि जिले में कितने कबाड़ी हैं यह भी किसी के पास रिकार्ड में नहीं है। ये कबाड़ी कम दिनों में लाखों रुपए का कारोबार कर रहे हैं।

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