सीधी जिले में सरकार का नशा मुक्ति अभियान सिर्फ कागजों मे लगा रहा दौड़, नशीली दवाओं के तस्कर बर्बाद कर रहे युवाओं के भविष्य।

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सीधी जिले में सरकार का नशा मुक्ति अभियान सिर्फ कागजों मे लगा रहा दौड़, नशीली दवाओं के तस्कर बर्बाद कर रहे युवाओं के भविष्य।

पुलिस कर रही कार्यवाही,अन्य अमला गायब जगह-जगह पिक रही नशीली दवाइयां।

9893569393 विराट वसुंधरा ब्यूरो सीधी:-
सीधी। एक ओर जहां सरकार हर वर्ष करोड़ों रूपये खर्च करके नशामुक्ति अभियान चलाती है तो वहीं दूसरी ओर जिले में संचालित होने वाले दवाई की दुकान में प्रतिदिन लाखों रूपये की नशे की दवाई धड़ल्ले से बेेंची जा रही है। यूं तो युवाओं को देश का भविष्य कहा जाता है मगर आज का युवा वर्ग प्रतिबंधित नशीली टेबलेट व इंजेक्शन लेकर नशे के गर्त में समाते जा रहा है। आलम यह है कि शहर के हरेक गली मोहल्लों एवं स्कूल कालेजों के आसपास नशे की हालत में युवा आसानी से देखे जा सकते हैं इसके अलावा शहर के कई टपरियों के पीछे एवं सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंधित बुटरम नामक इंजेक्शन की खाली सीरिंज देखी जा सकती है। साथ ही नशे की हालत में युवा मारपीट की घटना के साथ-साथ अपराधिक घटनाओं को भी अंजाम देने से नही चूकते। तेजी से बढ़ते नशे के इस कारोबार को जल्द ही रोका नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में इसका परिणाम बहुत ही दु:खद हो सकता है। शहर के युवा दिनों दिन नशे के गर्त में डुबते जा रहे हैं कहीं शराब दुकानों के आसपास युवाओं का अलग-अलग समूह बेखौफ जाम से जाम छलकाते नजर आते हैं तो कहीं पेट्रोल सूंघना, सुलेशन सूघना, कोरेक्स सिरफ, नशीला टेबलेट खाना इत्यादि शामिल है। मगर अब नाबालिग से लेकर बालिक युवा शहर के मेडिकल स्टोर में चोरी छिपे बिकने वाले स्पाक्समो टेबलेट,बेनेड्रिल, कोजोम, डाइलेक्स सिरप के अलावा प्रॉक्सीवान, नाइट्रोवेट, फोर्टवीन टैबलेट व बुटरम इंजेक्शन का उपयोग नशे के रूप में कर रहे हैं। यहां यह बताना लाजमी होगा कि चिकित्सक के लिखे बगैर यह बुटरम टेबलेट,बुटरम इंजेक्शन, स्पाक्समो टेबलेट,बेनेड्रिल, कोजोम, डाइलेक्स सिरप के अलावा प्रॉक्सीवान, नाइट्रोवेट, फोर्टवीन टैबलेट किसी को दिया नही जाता, परंतु शहर के कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों के द्वारा चंद रुपयों के लालच में आकर चोरी छिपे यह प्रतिबंधित टेबलेट व इंजेक्शन युवाओं को परोसा जा रहा है।
*नशा तस्करों पर एसपी ने कसी नकेल:-*
बड़े-बड़े मेडिकल नशा तस्करों की पुलिस अधीक्षक डॉ रविन्द्र वर्मा ने कमर तोडऩे का कार्य किया है। जबसे पदस्थापना हुई है उसके बाद से ताबड़तोड़ कार्रवाईयों का दौर जारी है। वहीं कई तस्कर जेल के सलाखों के पीछे नजर आ रहे है। तो वहीं इसके इतर स्वास्थ्य विभाग का अमला व आबकारी का अमला अपनी कुर्सियों में नजर आता है। वहीं आबकारी विभाग के अधिकारी अपनी सेटिंग बनाने क्षेत्रों में निकल जाते है। वहीं पुलिस द्वारा आबकारी की कार्रवाई भी कर दी जाती है जिससे यह विभाग सिर्फ और सिर्फ वसूली तक सीमित देखा जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्रवाईयों की बातें सिर्फ मीटिंग तक करके कोरम पूर्ति कर ली जाती है।

*ड्रग इंस्पेक्टर के नही होते जिले मे दर्शन:-*
दवाई दुकानों में भी ऐसे दवाओं की बिक्री जो मादक पदार्थों की श्रेणी में आते है को बिना डॉक्टरी परामर्श के बेचे जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। मगर इन दवाओं की चोरी छिपे बिक्री का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दुकान संचालकों को ऐसे दवाओं में मोटी कमीशन की राशि मिलने के चलते ये बिना डॉक्टरी परची के दवाओं का बेरोक टोक बिक्री करते रहते है। इस बारे में ड्रग इस्पेक्टरों की भूमिका संदिग्ध हो जाती है। इन दवाओं का सेवन नशेड़ी इसलिए भी करते है क्योंकि इनके सेवन से मुहं से गंध नहीं आती और नशे का कोटा भी पूरा हो जाता है। दर्दनिवारक लोशन, कई तरह के कपछ सिरप व इंजेक्शन के रूप में नशे का प्रयोग हो रहा है। इस पर प्रभावी रोक के लिए बड़ा अभियान छेड़े जाने की आवश्यकता बनी हुई है।
*सख्त कानून बनाने की है आवश्यकता:-*
नशीली दवाइयों की बिक्री और फैलाव रोकने का एक ही तरीका है इतना कड़ा कानून बनाना चाहिए कि कोई इन्हें बेचने के बारे में सोच भी न सकें। अभी नशीली दवा बेचने वालों को भी कड़ी सजा नहीं मिल पा रही है। जब तक कानून सख्त नहीं होगा, ऐसे लोग भयभीत नहीं होंगे। सख्ती हुई तो ऐसी दवाइयां बेचने वाले भी गड़बड़ी करने की नहीं सोचेंगे। ऐसी दवा जिनमें नशे की मात्रा है, वो डाक्टरों की पर्ची के बिना किसी भी सूरत में नहीं मिलनी चाहिए वह भी एक पर्ची से एक ही बार। जहां तक अस्पतालों का सवाल है, वहां ऐसे प्रावधान जरूरी है कि मरीजों का जीवन बचाने के लिए डाक्टर बिना किसी बंधन के कोई भी फैसला ले सकें।
*इनका कहना हैं:-*
नशीली दवाओं के सेवन से रोगी को बहुत ही गंभीर किस्म का डीहाइड्रेशन, पेट का अल्सर व कैंसर हो सकता है। इसके सेवन से किडनी की बीमारी या मानसिक अवसाद भी होता है। नशीली दवाएं रोगी के निर्णय लेने की क्षमता पर असर डालती हैं। जरूरत से ज्यादा डोज लेने पर हार्ट अटैक की आशंका होती है। जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। छोटी बच्चियों से बलात्कार के ज्यादातर मामलो में ऐसे ही नशेडिय़ों को दोषी पाया गया है।
डॉ शिशिर मिश्रा
वरिष्ठ होम्योपैथिक
चिकित्सक सीधी।

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