क्या -? देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में बंद होगी राजनीतिक ऐरा प्रथा बाहरी नेताओं के चंगुल से कब आजाद होगा देवतालाब विधानसभा क्षेत्र।
क्या -? देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में बंद होगी राजनीतिक ऐरा प्रथा बाहरी नेताओं के चंगुल से कब आजाद होगा देवतालाब विधानसभा क्षेत्र।
क्या -? भाजपा के दिग्गज नेता गिरीश गौतम के सामने क्या कांग्रेस की नैया डुबोने वाले नेताओं के बूते फिर देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ठोकेगी ताल।
क्या -? 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय नेताओं को देगी मौका।
क्या -? मऊगंज जिला गठित होने के बाद रीवा जिले के नेताओं को मऊगंज जिले की जनता करेगी स्वीकार।
यह सवाल ऐसे हैं जो रीवा जिले से अलग होकर नवगठित मऊगंज जिले की देवतालाब विधानसभा क्षेत्र की जनता कर रही है सवाल इस लिहाज से भी करना जरूरी है कि अब 2 महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है और एक बार फिर बाहरी उम्मीदवारों को लेकर इन दोनों देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में चर्चा होने लगी है हम बात कर रहे हैं शिवनगरी देवतालाब मां अष्टभुजा धाम नईगढ़ी और बहुती जलप्रपात की नगरी देवतालाब विधानसभा क्षेत्र देवतालाब 72 की जहां विगत 35 वर्षों से कांग्रेस पार्टी का बुरा हाल है अगर बीते चुनावों पर नजर डालें तो देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक ऐरा प्रथा हावी रही है राष्ट्रीय दलों ने कभी भी स्थानीय नेताओं को तवज्जो न देकर बाहरी उम्मीदवारों को प्रत्याशी बनाया है और चुनाव लड़ा है कुल मिलाकर देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में बाहरी प्रत्याशियों का दबदबा रहा है वर्तमान विधायक गिरीश गौतम भी मनगवां विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं और कांग्रेस पार्टी के अधिकांश टिकट के दावेदार इस बार भी देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के बाहर के बताए गए हैं ऐसे में विधानसभा चुनाव 2023 में बाहरी प्रत्याशियों के खिलाफ वातावरण इस बार जनता में बना हुआ है भाजपा के गिरीश गौतम पुराने कद्दावर नेता हैं उनकी राजनैतिक काबिलियत को देखते हुए जनता ने बाहरी उम्मीदवार होने के बाद भी कांग्रेस बसपा को लताड़ते हुए जनता ने चुनाव जिता दिया था भले ही चुनाव जीतने के नजदीकी मामले रहे हों भाजपा की तरफ से इस बार भी वर्तमान विधायक और मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम टिकट के दावेदार है तो वहीं उनके भतीजे विवेक गौतम का भी कहीं कहीं नाम आता रहता रहता है भाजपा में टिकट को लेकर कोई जद्दोजहद की स्थिति नहीं दिखाई देती है तो लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी में एक अनार दर्जनों बीमार के हालात नजर आ रहे है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो कांग्रेस के नेता 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में रहते कांग्रेस पार्टी को डुबोने का काम किए है वही टिकट के लाइन में कतार लगाकर खड़े नजर आ रहे है जिनमें कुछ नेता बाहरी तो कुछ स्थानीय भी है।
भाजपा कांग्रेस में फर्क
लगातार चुनाव जीत रहे भाजपा नेता गिरीश गौतम की वरिष्ठता काबिलियत और जातीय समीकरण उन्हें जीत दिलाता रहा है भले ही देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में कुछ खास स्थिति उनके पक्ष में नहीं है जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की गलती से गिरीश गौतम लगातार चुनाव जीतने में सफल हुए हैं।
और कांग्रेस के वोट प्रतिशत गिरने की जो मुख्य वजह रही उसमें कांग्रेस के वही नेता जिम्मेदार है जो टिकट नहीं मिलने पर जयचंद बनकर कांग्रेस के उम्मीदवार को हराने का काम किए हैं बाहरी और दलबदलुओं को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाना कांग्रेस पार्टी के लिए घातक सिद्ध होता रहा है बाहरी उमीदवारों की धमा चौकड़ी से घिरी कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को स्थानीय उम्मीदवार खोजने की चिंता नहीं है और जो स्थानीय कांग्रेस के कद्दावर नेता लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं जन जन तक पहुंच कर भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं उन्हें इस बार भी अगर नजरअंदाज किया गया तो जनता वही परिणाम दोहराएगी जो अब तक होता आया है।
सी वोटर ओपिनियन।
बीते विधानसभा चुनाव 2018 में जो कांग्रेस की पराजय का मुख्य कारण था बाहरी और दलबदल कर कांग्रेस में आईं उम्मीदवार विद्यावती पटेल को टिकट देना कांग्रेस प्रत्याशी को जातिगत मतदाताओं ने तो मतदान किया था लेकिन बाहरी उम्मीदवार होने के चलते स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रूचि नहीं दिखाई थी तो वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में दूसरी पायदान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के सीमा जयबीर सिंह के पक्ष में कांग्रेस पार्टी के टिकट के दावेदारों में शुमार रहे कुछ नामी गिरामी नेताओं ने मदद की थी और कुछ नेताओं ने भाजपा प्रत्याशी गिरीश गौतम की मदद की थी स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बाहरी प्रत्याशी और दलबदल हेलीकॉप्टर उम्मीदवार होने के कारण कोई खास रुचि नहीं दिखाई थी।
टिकट मांगने वाले सभी बड़े नेताओं की अगर पोलिंग बूथ और क्षेत्र में जानकारी ली जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा ऐसे नेता अब एक बार फिर 2023 के चुनाव में कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
बाहरी और स्थानीय के साथ जिला फैक्टर।
बाहरी और स्थानीय उम्मीदवारों की चर्चाओं के बीच मऊगंज जिले में देवतालाब विधानसभा क्षेत्र होने के कारण अब रीवा जिला और मऊगंज जिले का फैक्टर भी चल रहा है देवतालाब में दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में क्षेत्रीय और बाहरी का मुद्दा जोर पकड़ा था और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्थानीय उम्मीदवार देवतालब्ध विधानसभा क्षेत्र में दिए जाने की बात कही थी लेकिन कांग्रेस के अंदर खाने में क्या चल रहा है अभी समझ पाना कठिन है बहरहाल देवतालाब विधानसभा क्षेत्र से टिकट के दावेदारों में विद्यावती पटेल बाहरी, सीमा जयबीर सिंह दूसरे दल से आए हुए और रीवा जिले से हैं।, पद्मेश गौतम बाहरी, एसएस तिवारी ने देवतालाब में घर बना लिया है, एडवोकेट प्रवीण पाण्डेय स्थानीय राम बहादुर शर्मा पूर्व डीएसपी स्थानीय विनय मिश्रा स्थानीय कुंज बिहारी तिवारी मनगवां क्षेत्र कांग्रेस के टिकट की लाइन में है। जिसमें बाहरी उम्मीदवार पहले कभी चुनाव नहीं जीते और इस बार तो जनता और कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भी स्थानीय उम्मीदवार दिए जाने की आवाज बुलंद कर दी है जिसके कारण बाहरी नेता चुनाव नहीं जीत सकते तो कुछ कांग्रेस पार्टी से गद्दारी करने के कारण जनता के बीच अच्छी छवि नहीं होने के कारण चुनाव नहीं जीत सकते हैं और कुछ नेता बार-बार चुनाव हारने वाले नेताओं की लाइन में हैं जिन्हें जनता यह कहने लगी है कि यह कभी चुनाव जीत ही नहीं सकते।