मध्य प्रदेश

करोड़ों का खनिज मद के कार्यों मे जमकर हुआ गोलमाल कमीशन की चाह ने रोकी विकास की रफ्तार, अधिकारियों की भूमिका पर उठ रहे सवाल।

करोड़ों का खनिज मद के कार्यों मे जमकर हुआ गोलमाल कमीशन की चाह ने रोकी विकास की रफ्तार, अधिकारियों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

 

विराट वसुंधरा सीधी:-
जिले में भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार हो गई है। आरईएस व जिला पंचायत के माध्यम से कराये जा रहे निर्माण कार्य सिर्फ कागजों में ही दिख रहे है। इन दिनो आरईएस विभाग के काम 50 फीसदी कमीशन में बांटे जा रहे है। यहां सीधी के अलावा रीवा के भी कुछ ठेकेदार जिम्मेदार अधिकारियों को मोटी रकम देकर मनचाहा काम कर रहे है। हैरानी की बात यह है कि मनरेगा योजना में जहां जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है वहीं खनिज मद की करीब 10 करोड़ रूपये भी खुर्द-बुर्द कर दी गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार खनिज मद के तहत सीधी जिले में 10 करोड़ के कार्य स्वीकृत किये गए थे जिसमें ऑगनवाड़ी,पुल,पुलिया,बाउण्ड्रीबाल सहित विभिन्न कार्य शामिल है। इन निर्माण कार्यो में आधे से अधिक निर्माण एजेंसी की जिम्मेदारी आरईएस को मिली है जिसके द्वारा मनरेगा की तरह खनिज मद की राशि को भी मनचाहे तरीके से बांट कर हजम कर लिया गया है। यही वजह है कि करीब तीन वर्ष पूर्व शुरू किये गए निर्माण कार्यो की पूर्णत: आज तक नही हो पाई है। जिसकी जिम्मेदारी खनिज विभाग के पास है लेकिन उसने भी इस ओर कोई सार्थक कदम नही उठाया। सूत्रों की माने तो करीब 10 करोड़ रूपये खनिज मद से जिले के विभिन्न विकास कार्यो के नाम पर आवंटित किये गए थे लेकिन उक्त राशि का कहां और किस प्रकार प्रयोग किया जा रहा है इसका देखरेख करने वाला कोई नही दिखाई पड़ रहा। यही वजह है कि आरईएस के जिम्मेदार अधिकारी इस योजना को भी कागजों में ही दफन कर राशि ऐंठने की फिराक में जुटे हुए है।
*कमीशन में बांट दिए काम:-*
मिली जानकारी के अनुसार खनिज मद के तहत 10 करोड़ रूपये के विभिन्न निर्माण कार्य स्वीकृत किये गए थे जिन्हे 50 प्रतिशत कमीशन में बांट दिया गया था। अब स्थिती यह है कि कमीशन लेने के बाद न तो निर्माण एजेंसी इस ओर देख रही न ही राशि जारी करने वाला विभाग। हालात यह है कि 50 प्रतिशत कमीशन देकर काम लेने वाले ठेकेदार शेष राशि कागजों में ही अथवा पुराने कार्यो की फोटोग्राफी तैयार कराकर राशि हड़प ली गई है। बता दें कि खनिज मद में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच अगर निष्पक्षतापूर्ण कराई जाय तो एक दर्जन से अधिक अधिकारी-कर्मचारी कटघरे पर खड़े हो सकते है। हलाकि सीधी में जांच और कार्रवाई संभव नही दिखाई दे रही।
*माननीयों का है संरक्षण:-*
जिले में आरईएस व जिला पंचायत के माध्यम से करोड़ों नही बल्कि अरबों रूपये का वारा-न्यारा किया गया है। ऐसा नही कि इस मामले की जानकारी जिले के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को नही है। बावजूद इसके किसी के द्वारा इस भ्रष्टाचार पर आवाज नही उठाई जा रही जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि यह पूरा गोलमाल माननीयों के संरक्षण में चल रहा है। सिहावल विधानसभा में स्टांप ड्युटी मद से चार स्टेडियमों का निर्माण कराया जाना था लेकिन आधे अधूरे कार्य को पूर्ण बताकर सम्पूर्ण राशि आहरित कर ली गई। बावजूद इसके माननीयों द्वारा इसकी खोज खबर नही ली गई जिससे यह साफ झलक रहा है कि इस भ्रष्टाचार में इनकी भूमिका संदिग्ध है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button