Rewa news, स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों द्वारा सार्थक एप्प से नहीं दी जा रही अटेंडेंस CMHO का आदेश गया कूड़ेदान में।

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Rewa news, स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों द्वारा सार्थक एप्प से नहीं दी जा रही अटेंडेंस CMHO का आदेश गया कूड़ेदान में।

सार्थक एप्प से डाक्टरों का अटेंडेंस लेना सरकार के लिए टेढ़ी खीर शासकीय अस्पतालों में लटक रहे ताले।

 

मध्य प्रदेश सरकार सामान्य प्रशासन विभाग ने बीते 7 जनवरी से सभी जिला अस्पतालों शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की अस्पतालों में सार्थक एप्प के द्वारा मेडिकल स्टाफ पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ को अटेंडेंस देने के लिए आदेश जारी किए थे अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा समय नहीं दिए जाने को लेकर सरकार ने कर्मचारियों अधिकारियों की हाजिरी जांचने सार्थक मोबाइल ऐप लेकर आई जिसके माध्यम से सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को उपस्थिति दर्ज करनी अनिवार्य की गई है मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्पष्ट आदेश दिया गया है कि सार्थक एप के माध्यम से अटेंडेंस दर्ज नहीं कराने वाले अधिकारी व कर्मचारी का वेतन रोक दिया जाएगा लेकिन संबंधित अधिकारियों द्वारा 7 जनवरी को जारी आदेश का पालन अब तक नहीं कराया जा सका है सरकार के आदेश का पालन न करना अधिकारियों की बेलगाम होने का प्रमाण है यहां सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिस अधिकारी को आदेश का पालन कराने के लिए निर्देश दिया गया है वो इस आदेश का पालन कराने में नाकाम साबित हो रहे हैं रीवा सीएमएचओ कार्यालय से बीते माह सार्थक एप्प से उपस्थित दर्ज कराने आदेश जारी किया गया था और यह आदेश में लिखा गया था कि जो कर्मचारी इस ऐप के जरिए उपस्थिति दर्ज नहीं कराएगा उसका वेतन रोक दिया जाएगा लेकिन आदेश को डाक्टरों ने कूड़ेदान में फेंक दिया जबकि अन्य कर्मचारियों द्वारा इस आदेश का पालन किया जा रहा है ऐसे में रीवा सीएमएचओ का आदेश उनके लिए खुद चुनौती बन गया है जिसका पालन रीवा के डॉक्टर नहीं कर रहे हैं आदेश जारी करने के बाद भी डॉक्टरों ने इसका पालन नहीं किया ऐसे में डाक्टरों का वेतन भुगतान कर देना सीएमएचओ रीवा की मजबूरी और राजनीतिक दबाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने सार्थक एप्प साबित होगा मील का पत्थर।

आमतौर पर देखा जाए तो स्वास्थ्य विभाग एक ऐसा विभाग है जहां डॉक्टर से लेकर सभी कर्मचारी काफी महत्वपूर्ण है अस्पतले खुली है शासन ने कर्मचारियों की भर्ती भी कर रखी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर शासकीय अस्पतालों में नाम मात्र की उपस्थित देते हैं और अपने निजी क्लीनिक में बैठकर मरीजों को देखते हैं डॉक्टरों के इस रवैए से सरकारी अस्पतालों की स्थिति बदहाल हो चुकी है सरकार चाहती है कि डॉक्टर सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारी सरकारी अस्पतालों में अपने निर्धारित समय दें जिससे कि जनता को सरकारी अस्पतालों से लाभ मिल सके इसी मंशा को पूरा करने सरकार का स्वास्थ्य विभाग सार्थक मोबाइल ऐप के जरिए सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की हाजिरी लेने योजना बनाई है और सभी अधिकारियों कर्मचारियों का जीपीएस रिकॉर्ड भी स्वास्थ्य विभाग में रखा जाएगा जिससे सभी कर्मचारियों व डॉक्टरों की उपस्थिति के साथ उनकी लोकेशन भी पता चल सकेगा यह जरूरी भी है क्योंकि सरकार ने जनता के लिए अस्पताल खोल रखी है मोटी वेतन देकर डॉक्टरों की पदस्थापना पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ सहित आउटसोर्स कर्मचारी की भी पदस्थापना कर रखी है देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों की सरकारी अस्पताल में निर्धारित समय पर अस्पताल के ताले नहीं खुलते और अगर ताले खुल भी जाते हैं तो अस्पताल में ताला बंद होने में टाइम नहीं लगता। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों में भी डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही आए दिन सामने आती है ऐसे में इन लापरवाह अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी जांचने सार्थक एप्प मील का पत्थर साबित होगा।

आखिर डॉ क्यों नहीं कर रहे शासन के आदेश का पालन।

स्वास्थ्य विभाग में अक्सर डॉक्टरों की कमी बताई जाती है जबकि सभी शासकीय अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर अगर अपने निर्धारित समय के अनुसार अस्पताल में बैठना शुरू कर दें तो जनता को नि:शुल्क इलाज का लाभ सही तरीके से मिल पाएगा लेकिन ऐसा नहीं होता हम सिर्फ रीवा जिले की अगर बात करें तो ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर टाइम से अस्पताल में नहीं पहुंचते और कभी-कभी तो पहुंचते ही नहीं हैं महज एक-दो घंटे के लिए डॉ अस्पताल में पहुंचते हैं इसके बाद अपनी निजी क्लीनिक में बैठकर मरीज को देखते हैं रीवा जिले में शायद ही कोई ऐसा अस्पताल होगा जहां डॉक्टर अपनी निर्धारित समय की ड्यूटी करते हों रीवा शहर में अर्बन नोडल अधिकारी से साठ-गांठ करके डा अपनी निजी क्लीनिक में प्रैक्टिस कर रहे हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर से साठ-गांठ करके अन्य डॉक्टर भी मौज कर रहे हैं ऐसा देखा जा सकता है कि रीवा मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर हनुमान मऊगंज चाकघाट डभौरा जवा जैसे दूर दराज क्षेत्रों में रोजाना शहर से डॉक्टरों का आना-जाना होता है इसके साथ ही उनको अपनी निजी क्लीनिक में भी मरीज को देखना होता है ऐसे में समझा जा सकता है कि डाक्टरों से सार्थक ऐप से अटेंडेंस लेना सरकार के लिए आसान नहीं है।

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