Rewa news, खरी खरी,, जिसकी लाठी उसकी भैंस, मऊगंज जिला प्रशासन और खाकी पर भारी खादी..?
Rewa news, खरी खरी,, जिसकी लाठी उसकी भैंस, मऊगंज जिला प्रशासन और खाकी पर भारी खादी..?
देखा जाए तो खाकी पर खादी सदैव भारी रही है लेकिन खाकी की लाज भी बचाना उतना ही जरूरी है जितना की खादी का प्रशासन पर धाक जमाने का फैशन है मध्य प्रदेश के नवगठित मऊगंज में जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने स्थापना के बाद से काफीकुछ बेहतर और मऊगंज जिले की बड़ी पहचान बनाने की कोशिश भी की लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता गया मऊगंज के जनप्रतिनिधि के दबाव में काम करने लगे अगर सही ढंग से देखा जाए तो अब मऊगंज जिले में चाहे वह कोई भी विभाग हो कहीं भी ढंग से कोई काम नहीं हो रहा है हर जगह सत्ताधीश पार्टी के जनप्रतिनिधियों का दबाव है पुलिस प्रशासन में भी अगर जनप्रतिनिधियों की इस तरह से चलती है तो यह भी जानना जरूरी है कि नेताओं के चुनाव प्रचार में शारीरिक मेहनत और आर्थिक सहयोग करने वाले लोग अक्सर गलत धंधे शॉर्टकट रास्ते ही सफलता पाने का प्रयास करते हैं और वहीं लोग खादी के नजदीकी भी होते हैं खादी वाले भी उसे उस लायक मजबूत बना देते हैं कि सनद रहे वक्त में काम आवे, इसको इस रूप में भी हम देख सकते हैं कि अगर सब कुछ सही चलता है तो फिर पुलिस और जिला प्रशासन के काम में नेताओं की सिफारिश की जरूरत ही क्या है जबकि जो अधिकारी जिस पद पर तैनात है वह उसके काबिल है और शासन प्रशासन के नियम और मापदंडों पर ही काम कर रहे हैं।
प्रेशर पॉलिटिक्स के बीच छटपटात सिस्टम।
शासन की चालू की हुई हितग्राही मूलक योजनाएं शासन के मंशा अनुरूप गरीबों तक नहीं पहुंच पा रही है केवल और केवल इसका उपयोग अमीर और प्रभावशाली लोग अपने इशारे पर धरातल पर करवाते नजर आते है ऐसा लगता है कि सरकार की योजना सरकार की नहीं बल्कि जो योजना को क्रियान्वित कर रहे हैं उनके द्वारा योजना चलाई जा रही है मतलब सीधा सा है कि जनता के टैक्स से सरकार चलती है और सरकार का पैसा राजनीतिक स्वार्थ के लिए योजनाओं के जरिए वोट बैंक बनाने चंद लोगों को आर्थिक सामाजिक रूप से समर्थवान बनाने जैसे चलन पर आ चुका है जैसे की कलेक्टर साहब समय-समय पर हर विभाग की हर योजनाओं की समीक्षा करते हैं वह समीक्षा केवल समीक्षा तक सीमित रह जाती है शासन के काम काज में नेतागिरी सर चढ़कर बोलती है जाहिर सी बात है की नेतागिरी पक्षपात को ही बढ़ावा देती है तो फिर प्रेशर पॉलिटिक्स में प्रशासन की कैसे चलेगी।
इस आदेश ने कराई शासन की किरकिरी।
मऊगंज- जिले का एक आदेश चर्चा का विषय बना हुआ है जहां मऊगंज पुलिस की किरकिरी कराने के बाद चंद घंटों में आदेश बदल गया पुलिस अधीक्षक का जारी आदेश पिपराही चौकी प्रभारी बनाए गए बृहस्पति पटेल को अब बनाया गया हाटा चौकी प्रभारी मतलब सम्मान के बाद फिर पुरुस्कार, वही प्रायोजित रिजाइन से चर्चा में आए गोविंद तिवारी का नही चली प्रेशर पालटिक्स चौकी प्रभारी से हटा कर भेजा गया हनुमना थाने जबकि अमर सिंह यथावत रहेंगे हाटा चौकी प्रभारी, देखा जाए तो जिले की कानून व्यवस्था और आदेश, मजाक बनकर रह गया है, और यहाँ कुछ भी ठीक नहीं चल रहा, आखिर क्या हुनर और खासियत है इस कार्यवाहक सहायक उप निरीक्षक में, जिसे सिर्फ प्रभारी की गद्दी से मोह है।
अवैध वसूली के लिए प्रसिद्ध।
यह वही उप निरीक्षक है जिनकी अवैध वसूली और थाने में आए हुए आम जनता को मां बहन की गाली देकर थाने से भगाने का वीडियो सुर्खियां बटोर चुका है सायद इसी हुनर के चलते इनको फिर से चौकी की कमान देकर उनको सम्मानित किया गया होगा इसलिए इससे भी बड़ा सम्मान मऊगंज पुलिस अधीक्षक का होना चाहिए, हालांकि मऊगंज जिले का यह पहला मामला नहीं है यहां हमेशा से ऐसा ही होता आ रहा है यहां जिस पुलिसकर्मी का शाम को निलंबन या लाइन हाजिर की कार्यवाही होती है उसे सुबह दूसरे थाने में तैनात कर दिया जाता है माना जाता है कि पुलिस बल की कमी है लेकिन पुलिस बल की कमी से अधिक महत्वपूर्ण पुलिस के आचरण में कमी को देखना जरूरी है अगर यही सब कुछ पुलिस विभाग में चलता है तो फिर कार्यवाही के नाम पर आम जनता को बेवकूफ बनाने के लिए क्या ड्रामा किया जाता है।
नशे के सौदागरों पर रहम क्यों –?
लगातार नशे के सौदागरों का तांडव देखने को मिल रहा है आरोप यह लगता है कि स्थानीय पुलिस कमीशन लेकर खूब पैकारी करवा रही है गाली गली मेडिकल नशा दिख रहा है एक पकड़ा जाता है तो 10 तैयार हो जाते हैं हालत वही है कि पुलिस जितना कार्यवाही करती है उससे और अधिक अवैध नशे का कारोबार बढ़ जाता है हालत यह है कि रक्तबीज की तरह नशे के सौदागर बढ़ रहे हैं और अवैध नशे का कारोबार खूब फल फूल रहा है बेरोजगार युवा इस धंधे में अपना भविष्य देखने लगे हैं तो वहीं बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति से नशे की सौदागरों की तिजोरी भी भर रही है इस गंदे धंधे में कौन किसके साथ है यह भी बताने की जरूरत नहीं पड़ती समय और स्थिति स्थिति अनुसार सब कुछ पहले से बेहतर बढ़ता जा रहा है कहा तो यह भी जाता है कि नशे के सौदागरों पर कानून व्यवस्था ही रहम कर रही है क्या ऐसे नशे की सौदागर ददुआ और वीरप्पन से अधिक खतरनाक है अगर नहीं तो फिर इनके ऊपर रहम क्यों और क्यों यह रक्तबीज की तरह एक को पकड़ो तो 10 तैयार हो रहे हैं नई गढ़ी शराब कारोबारी का कारनामा अभी सामने आया है जहां तीन लोगों के ऊपर शराब से लदी कार चढ़ा कर उन्हें मौत के मुंह में धकेल दिया गया।
बिना माई-बाप का बिजली विभाग।
बिजली विभाग का कोई माई बाप ही नहीं है चाहे जितनी शिकायत करो कोई फर्क ही नहीं पड़ता क्योंकि कोई सुनने वाला ही नहीं है मेंटेनेंस के नाम पर नई योजनाओं के नाम पर कितना करोड़ रुपए बिजली विभाग को आता है लेकिन बिजली विभाग के नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी पूरा पैसा बंदर बांट कर जाते हैं अगर गांव में आकर बिजली की हालत देखी जाए तो वही पुराने 70 साल पहले वाले खंभे और तार टूटे हुए एंगल जले हुए ट्रांसफार्मर दिखाई देंगे और बिजली विभाग सिर्फ हर महीने बिल देकर वसूलना जानती है जिससे आमजनता त्राहि-त्राहि कर रही है अधिकारियों को अपने एसी रूम से निकालकर कभी गांव तक जाने का समय नहीं मिलता और इसी के दम पर केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार गरीब को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने की बात करती है अगर सरकार को गरीबों की चिंता है तो पहले अपने प्रशासनिक हमले की तरफ कड़ाई से ध्यान दें और नियमों का पालन करवाए तब कहीं जाकर आम आदमी को उसका हक और सम्मान मिल पाएगा।