Rewa news, स्वच्छता अभियान खानापूर्ति तक, शास संस्थाओं की चौखट से लेकर बाजारों में गली कूचों तक लगा है कचड़े का ढेर।

Rewa news, स्वच्छता अभियान खानापूर्ति तक, शास संस्थाओं की चौखट से लेकर बाजारों में गली कूचों तक लगा है कचड़े का ढेर।
स्वच्छता अभियान: जनपद पंचायत गगेव की ग्राम पंचायतों की वास्तविकता और चुनौतियाँ।
रीवा। स्वच्छता अभियान, जिसका उद्देश्य भारत को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस 17 सितंबर से गांधी जयंती 2 अक्टूबर तक पूरे देश में व्यापक रूप से मनाया जा रहा है। हालांकि यह अभियान शहरों में सफल दिख रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रभाव सीमित नजर आता है। मध्य प्रदेश के रीवा जिले के जनपद पंचायत गगेव अंतर्गत ग्राम पंचायत गढ़ इसकी एक ज्वलंत मिसाल है देखने को मिल रहा है कि स्वच्छता वाहन और अभियान से जुड़े लोगों द्वारा कागजी कोरम और फोटो ग्राफी के द्वारा स्वच्छता हवा हवाई चल रहा है।
प्राथमिक विद्यालय की दुर्दशा:
गढ़ स्थित प्राथमिक विद्यालय की स्थिति अत्यंत दयनीय है, जहां बच्चों को गंदगी और बदबू के बीच पढ़ाई करनी पड़ती है। स्कूल के आसपास फैली गंदगी और भोजन स्थल के पास की दुर्गंध बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है। इस समस्या से पूर्व सांसद जनार्दन मिश्रा को भी अवगत कराया गया था, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
प्रशासनिक दावे और जमीनी हकीकत:
जनपद पंचायत के अधिकारियों का दावा है कि स्वच्छता अभियान के तहत सफाई का कार्य नियमित रूप से हो रहा है, लेकिन हकीकत इससे अलग है। पंचायत क्षेत्र में स्वच्छता की स्थिति बेहद खराब है। पंचायत के उपयंत्री प्रवीण पांडे का कहना है कि सफाई हो रही है, लेकिन स्कूल के आसपास फैली गंदगी उनके दावों की पोल खोल रही है।
कचरा प्रबंधन की अनदेखी:
गढ़ क्षेत्र में कचरा प्रबंधन के लिए वाहनों की व्यवस्था की गई है, लेकिन इनका उचित उपयोग नहीं हो रहा है। सार्वजनिक स्थलों जैसे बस स्टैंड, आयुर्वेदिक औषधालय और शैक्षणिक संस्थानों के आसपास कचरे के ढेर लगे हुए हैं, जहां से रोजाना हजारों लोग गुजरते हैं। कचरा उठाने और इसके निपटान के स्पष्ट निर्देशों की अनुपस्थिति स्पष्ट रूप से झलकती है।
उच्चस्तरीय अधिकारियों की उदासीनता:
स्वच्छता अभियान की समीक्षा करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों की उदासीनता ग्रामीण क्षेत्रों में स्पष्ट दिख रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला और कलेक्टर प्रतिभा पाल जैसे अधिकारियों की निगरानी के बावजूद गढ़ क्षेत्र में स्वच्छता अभियान का प्रभाव नगण्य है। इस दौरान भी सफाई व्यवस्था बदहाल है, जो प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करती है।
निष्कर्ष:
स्वच्छता अभियान तभी सफल हो सकता है, जब इसे शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी गंभीरता से लागू किया जाए। ग्राम पंचायत गढ़ की स्थिति यह दर्शाती है कि केवल जागरूकता अभियान चलाने से ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाने से भी स्वच्छता अभियान सफल हो सकता है। स्थानीय प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और स्वच्छता के प्रति गंभीर कदम उठाने होंगे, ताकि सभी नागरिकों को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल सके।