Rewa news, सौ प्रतिशत बंद दिल की नस को सफलतापूर्वक खोलने वाला प्रथम ‘इंस्टीट्यूट बना सुपर स्पेशलिटी रीवा।
ब्यूरो रिपोर्टApril 18, 2024Last Updated: April 18, 2024
2 minutes read
Rewa news, सौ प्रतिशत बंद दिल की नस को सफलतापूर्वक खोलने वाला प्रथम ‘इंस्टीट्यूट बना सुपर स्पेशलिटी रीवा।
रीवा जिले में संचालित सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय, रीवा विंध्यक्षेत्र के शासकीय चिकित्सालयों में से सबसे पहले लम्बे समय से 100 प्रतिशत बंद दिल की नस को डूयल इन्जेक्शन एवं माईक्रो कैथेटर की मदद से सफलतापूर्वक खोलने वाला प्रथम ‘इंस्टीट्यूट बन गया है, विगत दिवस दो मरीज जिनकी उम्र कमशः 62 साल एवं 58 साल, डॉ. एस.के. त्रिपाठी सह प्राध्यापक हृदयरोग विभाग के पास सीने में तेज दर्द के लक्षणों के साथ ओ.पी.डी. में पहुंचे थें,जहां डॉ. त्रिपाठी द्वारा मरीजों को भर्ती करके एजियोग्रफी की योजना बनायी गई, तदोपरान्त एजियोंग्गग्राफी में पाया गया कि दोनी ही मरीजों के दिल की नस 100 प्रतिशत बंद थी और उनमें कैल्शियम का बोहोत ज्यादा जमाव था।
ऐसे में सामान्य एंजियोप्लास्टी कर पाना असम्भव होता है। इन केसेस को करने के लिए डूयल इन्जेक्शन एवं माईक्रो कैथेटर की मदद ली जाती है। डूयल इन्जेक्शन की मदद से नस कहां तक बंद है इसका अंदाजा लगता है एवं माईक्रो कैथेटर बंद नस को खोलने में मददगार साबित होता है पूर्व में हमारे पास माईक्रो कैथेटर एवं एडवांस मशीने जैसे आई.वी.यू.एस. एवं रोटाब्लेटर न होने से ऐसे जटिल प्रोसीजर को कर पाना संभव नही था, जिससे इन मरीजों के पास बॉयपास के अलावा दूसरा विकल्प नही बचता था, परन्तु वर्तमान स्थिति में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग म.प्र. शासन, अधिष्ठाता चिकित्सा महाविद्यालय, रीवा, संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक जी.एम.एच, रीवा, अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय, रीवा एवं विभागाध्यक्ष हृदयरोग विभाग, सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय, रीवा के अथक प्रयासों से ये समस्त मशीने इस चिकित्सालय में उपलब्ध हो पाई हैं, जिससे जटिल से जटिल हृदय के प्रोसीजरों को भी हृदयरोग विभाग सरलता से सफलतापूर्वक संपादित कर रहा संचालित प्राईवेट संस्थानों में काफी है।
डॉ. त्रिपाठी द्वारा बताया गया की ये प्रोसीजर प्रदेश महंगे है तथा सामान्य जन को इन प्रोसीजरों का खर्चा व्यय करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। परन्तु शासन की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना द्वारा प्रोसीजरों को चिकित्सालय में निशुल्कः तथा सफलतापूर्व संपन्न किया गया एवं मरीज की दिल की नस पूर्ण रूप से सामान्य हो गई और मरीज बायपास सर्जरी से बच गया। इन प्रोसीजरों को बिना टीम वर्क के कर पाना असम्भव था, इन नामुमकिन से लगने वाले प्रोसीजर को मुमकिन बनाने में हमारे कैथलैब टेक्नीशियन जय नारायण मिश्र, सत्यम, सुमन, मनीष, सुधांशु, फैजल, नर्सिंग स्टाफ का
महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
URL Copied
ब्यूरो रिपोर्टApril 18, 2024Last Updated: April 18, 2024