bhopal news: अपनों की आवाज सुनाकर नहीं ठग सकेंगे साइबर अपराधी
अपनों की आवाज सुनाकर नहीं ठग सकेंगे साइबर अपराधी
bhopal news: भोपाल. साइबर क्राइम में फेक वॉइस (नकली आवाज) ने जांच एजेंसियों की नाक में दम कर रखा है। अमूमन हर दिन इस तरह से ठगी या गुमराह(misguided) करने के मामले सामने आते हैं। ऐसे मामलों पर लगाम कसने को भोपाल(Bhopal) की नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) ने सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो मात्र 6 से 10 सेकंड की असली रिकॉर्डिंग के आधार(Base) पर तैयार की गई नकली रिकॉर्डिंग(fake recording) की पहचान कर सकता है। दरअसल, आपके 6 से 10 सेकंड की आवाज से ठग 15 मिनट तक फेक वॉइस तैयार कर सकते हैं। एनएफएसयू की लैब में डीप फेक से जुड़े कई मामले भी पहुंचे, जिन्हें सॉफ्टवेयर की मदद से सुलझाया गया। सुरक्षा एजेंसियां इस टूल को अपनाने की योजना बना रही हैं। यह एआइ टूल न केवल अपराधों की जांच को तेज करेगा, बल्कि मासूम लोगों को फंसने से भी बचाएगा।
इस सॉफ्टवेयर(software) को एल्गोरिदम और मशीन लर्निंग तकनीकों से विकसित किया गया है। यह टूल रिकॉर्डिंग(tool recording) में ध्वनि तरंगों, पिच, इमोशन्स, आवृत्ति और अन्य तकनीकी मापदंडों का गहन विश्लेषण करता है। किसी भी प्रकार की असामान्यता या छेड़छाड़(Tampering) होने पर यह तुरंत अलर्ट करता है। वर्तमान में इस टूल का उपयोग कानूनी प्रक्रिया को सटीक और पारदर्शी बनाने में किया जा रहा है।
यह सॉफ्टवेयर(software) नकली आवाज को तुरंत पहचान सकता है। ध्वनि तरंगों(sound waves) के गहन विश्लेषण से असली और नकली की पहचान होती है। यह तकनीक भविष्य में साइबर अपराधों को रोकने में अहम भूमिका निभाएगी। – प्रो. (डॉ.) सतीश कुमार, निदेशक, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी