वन नेशन वन इलेक्शन के तहत होने वाले लोस और 12 राज्यों के विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट हुई तेज।
वन नेशन वन इलेक्शन के तहत होने वाले लोस और 12 राज्यों के विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट हुई तेज।
वन नेशन वन इलेक्शन के तहत भारत देश में एकीकृत चुनाव प्रणाली लागू करने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह तैयार है और संसद का बुलाए गए विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर के बीच इस मुद्दे पर चर्चा होनी है इसके साथ ही केंद्र की मोदी सरकार कभी भी लोकसभा भंग करके चुनाव आयोग को चुनाव कराने की सिफारिश कर सकती है।
एक देश एक चुनाव को लेकर कई बार भारतीय जनता पार्टी विभिन्न मंचों से यह बात कह चुकी है और अगर वन नेशन वन इलेक्शन के तहत देश में चुनाव होता है तो लोकसभा के चुनाव के साथ ही करीब एक दर्जन राज्यों का विधानसभा चुनाव साथ कराए जाने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है राजनीतिक जानकारों का मानना है कि क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव को उतारने के लिए भाजपा का यह मास्टर प्लान है एक साथ पूरे देश में चुनाव कराया जाए जिससे कि भारतीय जनता पार्टी केंद्र और राज्यों में सरकार बनाने में एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल करें।
जिन राज्यों में एक साथ चुनाव होने हैं उनमें।
राजस्थान।
25 लोकसभा सीट और 200 विधानसभा सीट।
मध्यप्रदेश
29 लोकसभा सीट और 230 विधानसभा सीट।
छत्तीसगढ़
11 लोकसभा और 90 विधानसभा।
तेलंगाना
17 लोकसभा 119 विधानसभा
मिजोरम
एक लोकसभा 40 विधानसभा
ओडीशा
21 लोकसभा 147 विधानसभा।
आंध्र प्रदेश
25 लोकसभा 175 विधानसभा
सिक्किम
एक लोकसभा 32 विधानसभा
अरुणाचल प्रदेश
एक लोकसभा और 40 विधानसभा सीट।
महाराष्ट्र
48 लोकसभा और 288 विधानसभा सीट।
हरियाणा
10 लोकसभा और 90 विधानसभा सीट।
जम्मू और कश्मीर
5 लोकसभा और 90 विधानसभा सीट।
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर एक तरफ जहां सत्ताधारी दल भाजपा और एनडीए तैयार है तो वहीं विपक्षी कांग्रेस पार्टी और हाल ही में बनाए गए इंडिया अलायंस में जहां देश की 28 राजनीतिक पार्टियां शामिल हैं। इनके बीच तनातनी का राजनीतिक माहौल गर्म है। राजनीतिक विश्लेषकों के आधार पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव की एक साथ घोषणा होते ही सभी क्षेत्रीय पार्टियां बिखर जाएगी इससे भाजपा को जबरदस्त लाभ होगा। ऐसा इसलिए की कुछ क्षेत्रीय पार्टियां लोकसभा चुनाव में एक साथ खड़ी है लेकिन विधानसभा चुनाव में अलग-अलग नजर आ रहे हैं ऐसे में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की एक साथ स्थिति बनती है तो क्षेत्रीय पार्टियों का बुरा हश्र होना तय है। देखा जाए तो आगामी चुनाव को लेकर अभी तक कांग्रेस ने केवल पांच राज्यों तक ही अपने प्रचार को फोकस किया है बाकी अन्य राज्यों में कांग्रेस ने एक साथ चुनाव होने की स्थिति में नहीं है ऐसे में अचानक चुनाव होता है तो कांग्रेस को नुकसान होगा। यह भी तय है कि क्षेत्रीय दलों में जो कांग्रेस के साथ हैं सिर्फ उन्हीं को नुकसान नहीं पहुंचेगा जो भाजपा के साथ है उन्हें भी नुकसान होगा माना जा रहा है कि भाजपा पूरी तरह से क्षेत्रीय दलों को सीमित करने की योजना में है ऐसे में वन इलेक्शन वन नेशन की हालत बनी तो भाजपा को जबरदस्त लाभ होगा इसके साथ ही कुछ कांग्रेस पार्टी को भी लाभ होगा लेकिन क्षेत्रीय दलों को भारी नुकसान होना संभावित है।