झोला छाप डॉक्टर के उपचार से युवती की हुई मौत आयुष्मान कार्ड की जानकारी नहीं होने से अस्पताल में नहीं कराया उपचार।

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झोला छाप डॉक्टर के उपचार से युवती की हुई मौत आयुष्मान कार्ड की जानकारी नहीं होने से अस्पताल में नहीं कराया उपचार।

संवाददाता संजय पांडेय,गढ़

रीवा । जिले के गढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम मड़ना निवासी देवेंद्र प्रसाद केवट की पुत्री नीलम केवट उम्र 17 वर्ष कुछ दिनों से बीमार थी जिसका उपचार गढ़ स्थित एक अवैध रूप से संचालित क्लीनिक में झोला छाप डॉक्टर के द्वारा किया जा रहा था झोला छाप डॉक्टर के उपचार के बाद लड़की की तबीयत धीरे-धीरे और अधिक खराब हो गई फिर उसके परिजनों द्वारा नारीबारी के एक अस्पताल में ले जाया गया जहां से डॉक्टरों ने इलाहाबाद के लिए रेफर कर दिया और आज नीलम केवट की मौत हो गई है मृतिका के पिता ने अपनी पुत्री के उपचार में लगभग ₹500000 से अधिक खर्च किए हैं तब भी उनकी बेटी को नहीं बचाया जा सका यहां यह बात भी बताना जरूरी है कि गांव-गांव में अवैध क्लिनिक और मेडिकल स्टोर तथा अवैध चिकित्सकों द्वारा गरीबों को उपचार के नाम पर लूटा जाता है और जब मरीज गंभीर हालत में पहुंच जाता है तब उसे अस्पताल ले जाया जाता है जहां मरीज को डॉक्टर नहीं बचा पाते देवेंद्र प्रसाद केवट की बेटी के साथ भी ऐसा ही हुआ है।

आयुष्मान योजना की नहीं थी जानकारी।

भारत सरकार द्वारा पूरे देश में गरीबों के निशुल्क इलाज के लिए आयुष्मान योजना के तहत कार्ड बनाकर दिए गए हैं सरकार की इस योजना से गरीब लोगों को निशुल्क उपचार दिया जाता है लेकिन दुर्भाग्य है कि आयुष्मान योजना में नाम होने के बाद भी गरीबों को इसकी जगह जानकारी नहीं हो पाती देवेंद्र प्रसाद केवट का सर्वे सूची में नाम है और उनका आयुष्मान कार्ड भी बना होगा लेकिन जानकारी के अभाव में उन्हें आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिला और घर के कीमती सोने चांदी के आभूषण बेचकर और लोगों से कर्ज लेकर अपनी बेटी का उपचार कराया लेकिन बेटी को नहीं बचाया जा सका वही कर्ज का बोझ और लद गया है। पीड़ित परिजनों द्वारा बताया गया कि देवेंद्र प्रसाद केवट द्वारा जब इलाहाबाद अस्पताल में बेटी को भर्ती कराया गया उसी दौरान उनके किसी रिश्तेदार ने आयुष्मान योजना के बारे में जानकारी दी जब अस्पताल में सर्च कराया गया तो उनका कार्ड बना लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी उनकी बेटी की मौत हो गई थी।
और जानकारी के अभाव में झोलाछाप डॉक्टर से लेकर अन्य अस्पतालों तक लगभग 5 लख रुपए से अधिक की राशि गरीब परिवार ने खर्च कर दिया है। आयुष्मान योजना के बारे में सरकार प्रचार प्रसार तो कर रही है लेकिन शासन की स्थानीय इकाई ग्राम पंचायत पोस्ट ऑफिस द्वारा गरीबों को कार्ड नहीं वितरित किए जाने के कारण गरीब परिवारों को आयुष्मान योजना के तहत उपचार का लाभ नहीं मिल पाता।

कुकुरमुत्ते की तरह फैले हैं झोला छाप डॉक्टरों के अवैध क्लिनिक।

ज्ञात हो कि रीवा जिले में शायद ही ऐसा कोई पंचायत या गांव बचा हो जहां नीम हकीम झोला छाप डॉक्टर क्लीनिक ना चला रहे हो आंकड़े बताते हैं कि मेडिकल स्टरों की संख्या शहर से लेकर गांव तक शासन के आंकड़े से लगभग चार गुना अधिक संचालित है ऐसे मेडिकल स्टोर झोलाछाप डॉक्टरों के अवैध क्लिनिक के रहमो-करम पर संचालित हैं अवैध क्लिनिक और मेडिकल स्टरों की जानकारी ऐसा नहीं है कि शासन के जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं है सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार अधिकारी किसी घटना के घटित होने के बाद ही कार्यवाही करते हैं इससे पहले ऐसे अवैध रूप से संचालित क्लीनिक और मेडिकल स्टोर तथा झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाकर कोई कार्यवाही नहीं करते जिसके कारण पूरे जिले में गांव-गांव कुकुरमुत्ते की तरह अवैध क्लिनिक और मेडिकल स्टोर संचालित है। गरीबों के लिए सरकार उपचार की निशुल्क व्यवस्था तो दे रही है और सरकारी अस्पताल भी हैं बावजूद इसके जानकारी के अभाव में अशिक्षित गरीब लोग इन नीम हकीमो की कमाई का जरिया बने हुए हैं और उपचार के नाम पर रुपए तो जाते हैं लेकिन मरीजों की मौत भी हो रही है।

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