सिंगरौली

SINGRAULI NEWS : उर्ती के जंगलो में जुअंा का खेल जुआड़िओ को पुलिस पकड़ने में फेल

उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ से पहुंच रहे अमीरजादे जुआरी

सिंगरौली : कोतवाली क्षेत्र बैढ़न में धड़ल्ले से जारी जुआ के खेल में रोजाना लाखों की जीत-हार का दांव लगने से पुलिस महकमें के अफसरों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहा है। जगह बदल-बदल कर जुआ खिलाने वाले आपराधिक प्रवृत्ति का गिरोह पुलिस के नाम से प्रत्येक दांव में हिस्सा निकालता है। जुआ के अवैध कारोबार में पुलिसिया संरक्षण के आरोप लग रहे हैं। शाम ढलते ही जुआ के फड़ों पर जुआरियों का जमावड़ा लग जाता है।

सूत्रों की माने तो कोतवाली क्षेत्र के शहरी क्षेत्र सहित उर्ती गांव में हर रोज जुआं की फड़ जम रही है। उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ सहित स्थानीय जुआरी लाखों का दांव लगा रहे हैं। कोई हार रहा है तो कोई मालामाल हो रहा है। इसके बावजूद थाना क्षेत्र की पुलिस चुप्पी साधे बैठी हुई है। दरअसल उर्ती गांव यूपी व छत्तीसगढ़ से लगा हुआ है। इसके चलते पड़ोसी राज्यों के जुआरियों का आना और जुआ खेलकर वापस लौट जाना काफी आसान होता है। पुलिस की चुप्पी ने जुआरियों और वहां उन्हें शह देने वालों का मनोबल बढ़ गया है। यहां जुआ का खेल बहुत ही आसानी से चल रहा है। पुलिस के सरंक्षण में वहां यह कारोबार खूब फल-फूल रहा है। भले ही पुलिस जुआं फड़ पर कार्रवाई का दावा करती है लेकिन हकीकत यह है कि पुलिस जुआरियों पर कार्रवाई करने में असफल है।

बड़े जुआरियों को छोड़ देती है पुलिस

जुआ गिरोह में करीब आधा दर्जन लोग शामिल हैं। यहां अमीर जादे अपना गांव आजमाने आते हैं। सूत्रों की मानें तो पुलिस बड़े जुआरियों के फड़ पर छापा नहीं मारती या यूं आरोप है कि उन्हें छूट दे रखी है। वहीं छोटे जुआ फड़ पर दबिश देकर वाहवाही लूटती है। सच्चाई का पता तो उर्ती गांव में पहुंचने के बाद चलता है। पुलिस की मिलीभगत से यहां चौबीस घंटे जुआरियों का जमघट देखने को मिल जाएगा।

जंगल में रोज बदलते हैं ठिकाना

सूत्रों की माने तो गांव में जुआं की फड़ वहां के घनघोर जंगल में जमती है। सुरक्षा के लिहाज से हर रोज स्थान बदल दिया जाता है। हालांकि पुलिस की नजर से अवैध काम करना मौत को दावत देने जैसा होता है। मैनेज के बाद भी जुआं का खेल कराने वाले स्थानीय माफिया रास्ते में अपने गुर्गों को भी तैनात रखते हैं। ताकि कोई खेल में खलल डालने वहां जाए तो उसकी भनक वहां उन्हें पहले ही लग जाए।

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